Maharashtra Legislative Assembly Election, 2019: मुंबई विधानसभा चुनाव में पहली बार ठाकरे परिवार से चुनावी मैदान उतरे आदित्य ठाकरे के खिलाफ मुंबई विश्वविद्यालय में कानून के विभाग के पूर्व प्रमुख सुरेश माने मैदान में होंगे। 59 वर्षीय सुरेश माने वर्ली से कांग्रेस-एनसीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के उम्मीदवार होंगे। जबकि वह अब बहुजन रिपब्लिकन सोशलिस्ट पार्टी (BRSP) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इससे पहले वह महाराष्ट्र में बहुजन समाजवादी पार्टी का चेहरा थे। माने ने कहा है कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गए हैं। उन्हें वर्ली और औरंगाबाद (पश्चिम) से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। माने ने कहा कि गुरुवार (3 अक्टूबर ) को उन्होंने अपने पार्टी सदस्य के लिए विदर्भ की चंद्रपुर सीट भी मांगी है। वह शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

माने ने पूछा गृह क्षेत्र से क्यों नहीं लड़ रहे चुनाव: आदित्य पर हमला करते हुए, माने ने पूछा कि वह बांद्रा (पूर्व) से क्यों नहीं चुनाव लड़े ? वह उनका गृह क्षेत्र है। अभी भी वह वहां सुरक्षित महसूस नहीं करते है। सुरेश माने मूल रूप से कराड के निवासी है। उन्होंने बताया कि वह अपने कॉलेज के दिनों में निर्वाचन क्षेत्र में बॉम्बे डेवलपमेंट डायरेक्टरेट (BDD) के निवासी रहे हैं। बाद में 2005 के बीच वर्ली नूर में एक आवासीय इमारत में रहे। उसके बाद वह 2010 से सरेरी में रहने लगे।

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अंबेडकर के अनुयायी पार्टीयों को समझते है: उन्होंने बताया कि मेरे चुनाव लड़ने के फैसले का उनके (आदित्य के) नामांकन से कोई लेना-देना नहीं है। यह मेरा गृह क्षेत्र है। इसलिए मैं यहां से चुनाव लड़ रहा हूं। भाजपा-शिवसेना पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत को बदलने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सच्चे अंबेडकर अनुयायी पार्टियों की “कट्टरता” विचारधारा से अच्छी तरह से परिचित हैं और इसमें कभी भी गिरावट नहीं आएगी।

बसपा के रह चुके है महाचिव: बता दे कि माने बीएसपी के संस्थापक सदस्यों में से थे, और 1984 से 2014 तक इसके साथ जुड़े रहे, जब उनकी पार्टी प्रमुख मायावती के साथ संबंध बिगड़ने लगे तो उन्होंने बीएसपी छोड़ अपना खुद का राजनीतिक संगठन बना लिया। वह 2003 और 2014 के बीच बसपा के राष्ट्रीय महासचिव (महाराष्ट्र और कुछ दक्षिणी राज्यों के प्रभारी) भी थे।

2014 में नौ विधानसभा सीटों दूसरे नंबर पर थी बसपा: महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव 2014 में बसपा एक भी विधानसभा सीट जीतने में असफल रही थी, नौ विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही। जिनमें आठ विदर्भ की और एक मराठवाड़ा की सीट थी। वर्ली के विकास की अनदेखी का सत्ताधारी पक्ष पर आरोप लगाते हुए, माने ने कहा कि वह तटीय सड़क परियोजना के बारे में मछुआरा समुदाय की चिंताओं को दूर करने के अलावा बीडीडी चॉल के पुनर्विकास को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

प्रकाश अंबेडकर पर साधा निशाना: उन्होंने विपक्षी गठबंधन में शामिल नहीं होने के लिए वंचित बहुजन अघड़ी नेता प्रकाश अंबेडकर पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनके लक्ष्य बदलते रहते हैं। लेकिन लोगों को अब अपनी राजनीति का एहसास होने लगा है जो भाजपा के हितों के अनुकूल है। गौरतलब है कि माने 1990 से 2010 तक मुंबई विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर, और 2007 से 2010 के बीच HoD थे। अभी उनके पास एक स्वतंत्र कानून अभ्यास है।