महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल और शिवसेना के व्हिप चीफ सुनील प्रभु ने अयोग्यता की कार्यवाही के खिलाफ एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है। महाराष्ट्र के सियासी संकट पर कल होने वाली सुनवाई से पहले, अपने जवाब में सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए और अयोग्यता की कार्यवाही पूरी होने तक उन्हें निलंबित रखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून को डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर एकनाथ शिंदे गुट द्वारा उनकी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में शिवसेना चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने कहा है कि बागी विधायक पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। और महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने के योग्य हैं।
प्रभु ने कहा है कि बागी विधायकों ने “दलबदल का संवैधानिक पाप” किया है। उन्होंने एकनाथ शिंदे पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया है। अपने जवाब में उन्होंने आगे कहा है कि महाराष्ट्र के विधायक असम में बैठकर प्रस्ताव पारित कर रहे थे, जिसका प्रभाव उनकी अपनी सरकार पर पड़ रहा था।
डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अगर एकनाथ शिंदे गुट 24 घंटे में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है तो वे 48 घंटे में अयोग्यता नोटिस का जवाब क्यों नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि जवाब देने के लिए विधायकों को 48 घंटे का समय दिया गया था और इसमें ये कोई गैरकानूनी नहीं है।
बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकतर विधायक गुवाहाटी चले गए थे जहां वे कई दिनों तक होटल रेडिसन ब्लू में डेरा डाले रहे। इसके बाद, तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे की बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग पर डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को नोटिस भेजा था। ठाकरे गुट का कहना था कि दलबदल विरोधी कानून के तहत, बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है क्योंकि उनका भाजपा में विलय नहीं हुआ है।