महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने एक बार फिर कहा है कि उन्हें पद का कोई लोभ नहीं है और अगर लगता है कि वह शिवसेना का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं तो खुद को पार्टी से अलग करने को तैयार हैं। सीएम उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने के सुझावों को खारिज करते हुए कहा कि उनके और उनके परिवार पर ‘व्यक्तिगत हमले’ करने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बैठने की कोई संभावना नहीं है।

शिवसेना जिलाध्यक्षों को वीडियो लिंक के माध्यम से शुक्रवार को संबोधित करते हुए सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, “मुझ पर कुछ विधायकों का भाजपा से हाथ मिलाने का दबाव था। मातोश्री और मेरे परिवार पर हमला करने वालों के साथ मैं फिर कभी नहीं बैठ सकता हूं। मैं शांत हो सकता हूं, लेकिन मैं कमजोर नहीं हूं।”

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों ने कहा था कि पार्टी को भाजपा के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है और उन्होंने “वैचारिक रूप से विरोधी” कांग्रेस और एनसीपी से अलग होने की मांग भी रखी थी। उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों की मांग पर कहा, “जिन्हें हमने आगे बढ़ाया, उनकी महत्वाकांक्षाएं कई गुना बढ़ गई है। मैं अब उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकता। उन्हें जाने दें।”

उद्धव ने कहा कि उन्होंने (बागी विधायकों) पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ली थी लेकिन जरूरत के समय उन्होंने इसका साथ छोड़ दिया। मुख्यमंत्री ने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने उनके निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विकास निधि का आवंटन नहीं किया।

फंड की कमी के आरोपों को खारिज किया: शिवसेना प्रमुख ने बगावत करने वाले विधायकों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “कुछ विधायकों ने कहा था कि भले ही उनके टिकट काट दिए गए हों, फिर भी वे शिवसेना नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अब वे अलग हो गए तो उन्हें जाने दो। कई लोगों ने फंड की कमी की शिकायत की, जबकि मैं समान रूप से फंड आवंटित करने पर काम कर रहा हूं। (पिछली) बगावत के बाद, शिवसेना दो बार सत्ता में आई और दोनों बार मैंने इन लोगों को महत्वपूर्ण पद दिए।”