मध्य प्रदेश पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। कुछ लड़कियों का आरोप है उन्हें गिरफ्तार करने के बाद उनका जेल में प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया। इतना ही नहीं पुरूष पुलिस कर्मी उनके चेंजिंग रुम में भी झांक रहे थे। पुलिस वालों पर अभ्रदता करने का आरोप लगाने वाली लड़कियों का कहना है कि उन्हें हत्या के आरोप में जेल में बंद कैदियों के साथ बैठाया गया, आखिर हमारा गुनाह क्या है? आपको बता दें कि भोपाल में कुछ लड़कियों ने बुधवार (13 जून) को लाल परेड ग्राउंड में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा में हंगामा किया था। बाद में हंगामा करने के आरोप में पुलिस ने 9 लड़कियों को धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। गुरुवार को यह सभी लड़कियां जमानत पर जेल से रिहा हो गईं। रिहा होने के बाद इन लड़कियों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
यह है हंगामे की वजह : दरअसल सरकार की तरफ से महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए ज्ञापन निकाला गया था। महिला परीक्षार्थियों का कहना है कि राज्य के सीएम ने ऐलान किया था कि परीक्षार्थियों को उनकी लंबाई में 3 से 4 सेंटीमीटर की छूट दी जाएगी। लेकिन लड़कियों का कहना है कि लिखित और अन्य शारीरिक परीक्षा पास करने के बावजूद उन्हें ऊंचाई कम होने की वजह से भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। इसके विरोध में लड़कियों ने यादगार-ए-शाहजहानी पार्क में भी विरोध प्रदर्शन किया था। बुधवार को पुलिस ने सीएम की सभा में हंगामा करते वक्त लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया था।
एमपी पुलिस ने दी सफाई: इधर अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों पर एमपी पुलिस ने सफाई भी दी है। भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने कहा है कि जेल मैन्युअल के अनुसार महिलाओं को जेल में डालने से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट सहित यूरिनल टेस्ट करवाने पड़ते हैं। जेल अधीक्षक ने लड़कियों के सभी आरोपों को गलत बतलाया है और कहा कि किसी भी पुरूष पुलिसकर्मी के सामने इनका टेस्ट नहीं करवाया गया है।