मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा महीने की पहली तारीख पर सचिवालय में वंदे मातरम को अनिवार्य प्रथा में से हटाए जाने के बाद हंगामा कटा है। विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी इस पर कांग्रेस सरकार को घेर रही है। बीजेपी के गुस्से का आलम यहां तक है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक इस मामले पर कांग्रेस की आलोचना कर चुके हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी के नेता एकजुट होकर प्रदर्शन करते देखे गए लेकिन जब वंदे मातरम गाने की बारी आई तो बहुत से नेता बगलें झांकते दिखे। एमपी तक यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसे लेकर कहा गया है कि वंदे मातरम पर प्रदर्शन कर रहे नेताओं को राष्ट्रीय गीत तक याद नहीं है। वीडियो में कोई नेता वंदे मातरम को गलत गाता हुआ दिखाई दे रहा है तो किसी को वंदे मातरम के आगे की पंक्तियां याद नहीं है। मीडिया का कैमरा देख एक नेता मोबाइल फोन के जरिये राष्ट्रीय गीत याद करने की कोशिश करते पाए जाते हैं।
सचिवालय में महीने की पहली तारीख पर वंदे मातरम पर रोक लगाने के मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा, ”मुझे कहते हुए बहुत तकलीफ है, ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने आते ही वंदे मातरम के गान की परंपरा को समाप्त कर दिया, मैं स्वयं देशभक्तों के साथ वंदे मातरम का गान पल्लव भवन के प्रांगण में करूंगा।”
वहीं, मामले को लेकर घेरे जा रहे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान जारी कर कहा, ”हर महीने के पहले दिन वंदे मातरम के अनिवार्य पाठ को फिलहाल रोक दिया गया है। इसे नए तरीके से लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के पीछे कोई ‘एजेंडा’ नहीं है, न ही हम वंदे मातरम के गायन का विरोध करते हैं। गीत हमारे दिलों में समाया है और मैं भी इसे गाता हूं। हम इसे नवीनीकृत करेंगे लेकिन एक अलग रूप में, बीजेपी को इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।”
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक फेसबुक पोस्ट में मामले को लेकर कांग्रेस की आलोचना में कहा है, ‘‘वंदे मातरम’ पर प्रतिबन्ध लगाकर कांग्रेस ने न सिर्फ देश की स्वाधीनता के लिए वंदे मातरम का जय घोष गाकर अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले वीर बलिदानियों का अपमान किया है बल्कि यह मध्य प्रदेश की जनता के साथ भी विश्वासघात है।”