मध्यप्रदेश में भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। कुछ सर्वे में भी इस बात की पुष्टि की गई है। यही वजह है कि भाजपा अपने चुनावी अभियान की धार तेज करने की कवायद में जुट गई है। इसके तहत भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बदलाव करने का फैसला किया है। भाजपा के घोषणा पत्र में दृष्टिपत्र समिति द्वारा तैयार ड्राफ्ट में और संशोधन की बात सामने आयी है। ऐसी खबरें आयी हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने घोषणापत्र में और पैनापन लाने और लोक-लुभावन बनाने का सुझाव दिया है। प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने दृष्टिपत्र समिति को सुझाव दिया है कि समिति महाराष्ट्र और ओडिशा के घोषणापत्र देख लें और इसके बाद संशोधन किया जाए।
बता दें कि इस संबंध में 2 घंटे तक चली दृष्टि पत्र समिति की बैठक में सीएम शिवराज सिंह खुद मौजूद रहे। शिवराज सिंह की जन आशीर्वाद यात्रा समाप्त होने के बाद घोषणा पत्र में संशोधन के मुद्दे पर प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कांग्रेस के कर्जमाफी का जवाब, किसानों और सामान्य वर्ग को लुभाने वाली घोषणाएं बढ़ाने पर विचार किया गया। बता दें कि कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा उठा रही है। जिससे कांग्रेस को फायदा भी मिलता दिखाई दे रहा है और उनकी जनसभाओं में खूब भीड़ उमड़ रही है। इसके अलावा कांग्रेस मंदसौर हिंसा का मुद्दा भी उठा रही है। यही वजह है कि भाजपा को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ रहा है।
घोषणा पत्र तैयार करने वाली दृष्टि पत्र समिति के अध्यक्ष विक्रम वर्मा ने कहा कि 3 नवंबर को एक बार फिर सीएम के साथ बैठक होगी। जिसके बाद दिवाली के बाद घोषणा पत्र जारी कर दिया जाएगा। इसके अलावा भाजपा में टिकट के दावेदारों पर भी खूब मंथन हो रहा है। पार्टी 1 नवंबर को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है। दिल्ली में होने वाली केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम मुहर लगेगी। खबरें हैं कि भाजपा अपने पहली सूची में 170 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का खुलासा कर सकती है। 5 मंत्रियों समेत 60 विधायकों के टिकट कटने की बात कही जा रही है।