Lok Sabha Elections 2024: माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर में ग्रामीणों से कहते हैं कि सरकार उन्हें माफिया कहती है। जबकि वो हमेशा गरीबों के मसीहा रहे हैं। अफजाल कहते हैं कि क्या कभी आपने किसी माफिया को हवाई चप्पल पहने या 12 साल पुरानी कार चलाते हुए देखा है। कोर्ट ने 2023 में उन्हें गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराया और चार साल की जेल की सजा सुनाई।

भाजपा के गढ़ वाराणसी के बगल में स्थित, गाजीपुर समाजवादी पार्टी का किला है। 2022 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल ने गाजीपुर की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की। अफजाल अंसारी, जो उस समय बसपा में थे। उन्होंने 2019 में संसदीय सीट जीतने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता मनोज सिन्हा को हराया था और अब वह फिर से सपा से चुनाव मैदान में हैं।

इस बार, दो महीने पहले यूपी जेल में उनके भाई मुख्तार अंसारी की मौत एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया है। जिसमें अफजाल अंसारी ‘न्याय’ मांग रहे हैं।

अफजाल कहते हैं कि यह सच है कि मुख्तार को सरकार ने जेल के अंदर जहर देकर मार डाला था। मुझे सरकारी मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है क्योंकि वे खुद इसमें शामिल हैं। अगर हमारी सरकार बनती है, तो मुझ पर विश्वास करें, सच्चाई सामने आएगी और बड़े अपराधी जेल जाएंगे।

वो कहते हैं कि लोग उनके भाई की मौत के लिए ईवीएम बूथ पर उन्हें न्याय दें। हर रैली में अफ़ज़ाल लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव पैदा करते हैं। कई लोग सहमति में सिर हिलाते हैं और मुख्तार की ‘स्वाभाविक मौत’ पर संदेह करते हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बुलडोजर मॉडल’ अंसारी परिवार के खिलाफ गाजीपुर में सबसे चला है। जहां उनके परिवार की संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अफजाल इसे अन्यायपूर्ण बताते हैं, लेकिन कहते हैं कि लोगों ने इस पर अपना फैसला सुना दिया है।

अफजाल कहते हैं कि बीजेपी को अपने अहंकार के कारण 2022 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल (पूर्वी यूपी) में हार का सामना करना पड़ा। ग़ाज़ीपुर और आज़मगढ़ जिलों की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी हार गई। लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही होगा।

बता दें, योगी सरकार द्वारा कोर्ट में अंसारी बंधुओं के खिलाफ कानूनी मामलों की पैरवी ने मुख्तार को जेल में डाल दिया था और अफजाल अंसारी को पिछले साल गैंगस्टर एक्ट के तहत उनके खिलाफ पहली सजा मिली। उन्हें पहले कृष्णानंद राय हत्याकांड में बरी कर दिया गया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।

अफजाल ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए आवेदन किया है और मामले की सुनवाई 20 मई को होगी। उनकी बेटी नुसरत ने बैकअप के रूप में कार्य करने के लिए निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया है।

अफजाल का कहना है कि उनके परिवार का गौरवशाली इतिहास रहा है, उन्होंने आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी है और उन्हें ग़लत तरीके से निशाना बनाया गया है। वो कहते हैं कि जिनके पास कोई इतिहास नहीं है वे मेरे परिवार के इतिहास से ईर्ष्या करते हैं। जिन्होंने आजादी की लड़ाई में एक कील तक का बलिदान नहीं दिया, वे हमारे गौरवशाली इतिहास से नफरत करते हैं।’ हमारे पूर्वज, डॉ. एमए अंसारी, महात्मा गांधी से प्रभावित थे और 1926 में इसके अध्यक्ष बनने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने दरियागंज में अपना घर गांधीजी को दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय बनाने के लिए दे दिया था।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके परिवार के 12 सदस्य जेल गए थे। वो कहते हैं कि मेरे घर को एक बार ब्रिटिश सेना ने तोड़ दिया था, क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों ने वहां शरण ली थी, और अब राज्य में भाजपा सरकार इस पर बुलडोजर चला रही है। ग़ाज़ीपुर में एमए अंसारी के नाम पर एक स्कूल को उनके द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि यूपी की बीजेपी सरकार अहंकारी है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
वहीं मनोज सिन्हा के दाहिने हाथ पारस नाथ गाज़ीपुर से भाजपा के उम्मीदवार हैं और आरएसएस से जुड़े रहे हैं, जिसके कारण दक्षिणपंथी संगठन इस सीट पर पूरा जोर लगा रहा है।

यहां से बीजेपी के कार्यकर्ताओं के एक ग्रुप ने न्यूज 18 से कहा कि पारस नाथ भले ही अपना पहला चुनाव लड़ रहे हों, लेकिन वह भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए एक जाना-पहचाना चेहरा हैं, क्योंकि उन्होंने दो दशकों से अधिक समय से मनोज सिन्हा के सभी चुनावों का प्रबंधन किया है। लेकिन हां, अगर मनोज सिन्हा ने चुनाव लड़ा होता, तो बीजेपी इस बार गाज़ीपुर से जीत गई होती।