Lok Sabha Elections 2024: देश की सियासत में जब गांधी परिवार का जिक्र होता है तो कई राजनीतिक तस्वीरें सामने आती हैं। इस परिवार का संबंध शुरू से ही कांग्रेस से रहा है, लेकिन एक गांधी फैमिली बीजेपी में भी है। नाम है वरुण गांधी, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी और बहू मेनका गांधी के पुत्र हैं।
वरुण गांधी की राजनीति की बात करें तो उन्होंने लंदन से पढ़ाई के बाद राजनीति में आने का फैसला किया।1999 में उन्होंने अपनी मां मेनका गांधी के लिए चुनाव प्रचार किया। साल 2004 में बीजेपी की सदस्यता ली। 2004 के चुनावों में उन्होंने बीजेपी के लिए खूब किया।
साल 2009 में पहली बार सांसद बने वरुण गांधी
2009 के आम चुनावों में वरुण ने पहली बार पीलीभीत से चुनाव लड़ा और सांसद बने। 2013 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव चुना गया। 2013 में वरुण को पश्चिम बंगाल बीजेपी का प्रभारी बनाया गया। यही वो वक्त था कि जब वरुण को यूपी के मुख्यमंत्री के पद के तौर पर भी देखा जाने लगा था।
2014 के लोकसभा चुनावों में वरुण ने सुल्तानपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 के चुनावों में पीलीभीत से फिर से जीत हासिल की और सांसद बने, लेकिन अब 2024 में वरुण के सियासी कद और बीजेपी की राजनीति और रणनीति दोनों में काफी बदलाव आ चुका है। वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को अक्टूबर 2021 में पुर्नगठित बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी कमेटी से हटा दिया गया था।
पीलीभीत से कट सकता है वरुण का पत्ता?
चर्चा यह भी है कि बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी का पत्ता काट सकती है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पीलीभीत सीट से बीजेपी इस बार वरुण गांधी को टिकट नहीं देगी। उनकी जगह पर एक मौजूदा विधायक को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। वरुण गांधी फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं, उन्हें जो अच्छा लगता है बोलते हैं। कई बार पार्टी से अलग स्टैंड लेने में भी गुरेज नहीं करते हैं।
गुरुवार को भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मेरे परिवार ने देश के लिए अपना खून बहाया है। मेरा सपना है कि देश मजबूत बने। राष्ट्र की मजबूती के लिए मैं हमेशा आवाज बुलंद करता रहूंगा। राजनीति में आने के बाद मैंने हर पल देश और समाज के हित के लिए जिया है। देश को मजबूती के शिखर तक पहुंचाना ही मेरा एकमात्र लक्ष्य रहा है। उन्होंने कहा कि विरोधी भी मेरे ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा सकते। वरुण गांधी ने कहा कि मैंने कभी किसी की आलोचना नहीं की। हमेशा लोगों के हित में आवाज उठाई। वही किया जो एक सच्चे जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी होती है।’
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में वरुण गांधी का टिकट कट सकता है। भाजपा उनकी जगह संजय सिंह गंगवार को मैदान में उतार सकती है। 47 साल के संजय सिंह गंगवार वर्तमान में विधायक हैं। दूसरा नाम जितिन प्रसाद का भी चल रह है, वो योगी कैबिनेट मंत्री हैं।
अमेठी से लड़ सकते चुनाव?
वहीं एक चर्चा यह भी है कि अमेठी से वरुण गांधी को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार कर सपा और कांग्रेस समर्थन कर सकती है। गठबंधन के तहत मिली 17 सीटों में वर्ष 2019 में सिर्फ रायबरेली सीट कांग्रेस के पास आई, जबकि अमेठी में उसे हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह 2014 में अमेठी और रायबरेली सीटें मिली थी।
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम और सियासी गहमगहमी के बीच वरुण गांधी हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोस्ट को शेयर करते रहते हैं। हालांकि, एक बात यह भी है कि वो कभी सीएम योगी के पोस्ट को रिट्विट नहीं करते हैं, जो अक्सर वरुण गांधी की पोस्ट को देखकर पता चलता है। इस बात से यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि वरुण गांधी के राष्ट्रीय नेतृत्व से तो संबंध ठीक हैं, लेकिन सीएम योगी समेत राज्य के नेताओं से उनके संबंध उतने मधुर नजर नहीं आते हैं।