Bihar Liquor Ban: बिहार में शराबबंदी को लेकर जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का गुरुवार (10 नंवबर, 2022) को बड़ा बयान सामने आया है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में शराबबंदी सफल नहीं रही है, जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। कुशवाहा ने कहा कि नीतीश सरकार ने शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ताओं के बजाय शराब आपूर्तिकर्ताओं पर नकेल कसने की नई रणनीति अपनाई है। हालांकि कुशवाहा ने कहा कि शराबबंदी से समाज को काफी फायदा हुआ है।

जेडीयू नेता ने कहा कि अगर बिहार में शराब की बिक्री बंद हो जाती है तो इसकी खपत भी बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शराबबंदी तब तक सफल नहीं होगी, जब तक कि राज्य के लोग इसे नहीं चाहते। शराबबंदी कभी भी इसलिए सफल नहीं हो सकती, क्योंकि सरकार चाहती है। बिहार में शराबबंदी सफल नहीं हुई, लेकिन इससे समाज को लाभ जरूर हुआ है। यदि शराबबंदी अधिक सफल रही तो समाज को अधिक लाभ होगा।

उपेंद्र कुशवाहा के बिहार में शराबबंदी को विफल बताने पर भाजपा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा नेता निखिल आनंद ने कहा, ‘जनता दल यूनाइटेड के नेता उपेंद्र कुशवाहा निस्संदेह नीतीश कुमार से अधिक ईमानदार समाजवादी हैं। शराबबंदी एक विफलता है और अपराध बढ़ रहा है। लोग समानांतर अर्थव्यवस्था और अपराध के कारण पीड़ित हैं, जो शराबबंदी के कारण बढ़े हैं।

वहीं उपेंद्र कुशवाह से पहले बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी को लेकर सलाह दी थी कि शराबबंदी अच्छी बात है, लेकिन बिहार में समस्या इसके क्रियान्वयन में है, जिसकी वजह से शराब तस्करों को पकड़ा नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा था कि केवल 250 ग्राम शराब का सेवन करने वाले गरीब लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है। पूर्व सीएम ने नीतीश को सलाह दी थी कि कम मात्रा में शराब पीते हुए जो लोग पकड़े जाते हैं उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रदेश में लागू शराबबंदी की समीक्षा बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वह भविष्य में शराबियों पर नकेल कसने के बजाय उत्पाद और पुलिस विभाग शराब की तस्करी, भंडारण और बिक्री करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई को तेज करें। बिहार में 2016 में जब से शराबबंदी लागू हुई है, तब से राज्य सरकार ने इसे सख्ती से लागू करने की अपनी रणनीति में लगातार बदलाव किया है।