Nirbhay Thakur
बिहार में सियासी हलचल मची हुई है। इस बीच दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले का संज्ञान लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसको लेकर चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी बेटियां (राज्यसभा सांसद मीसा भारती और हेमा यादव) शामिल हैं। तीनों को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 9 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
इससे पहले जनवरी में दायर चार्जशीट में पूर्व रेलवे कर्मचारी हृदयानंद चौधरी और एके इंफोसिस्टम्स के निदेशक अमित कात्याल का भी नाम था। इन्हें पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार भी किया गया था। दो निजी कंपनियों (ए के इंफोसिस्टम्स और ए बी एक्सपोर्ट) का नाम चार्जशीट में लिया गया है।
यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर में पश्चिम मध्य रेलवे जोन में ग्रुप-डी नियुक्तियों से संबंधित है। जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे, तबका ये मामला है। ईडी ने आरोप लगाया है कि कत्याल ने कई जमीन ली, जिसके बाद एके इंफोसिस्टम्स के शेयर लालू यादव के परिवार के सदस्यों को ट्रांसफर कर दिए गए थे।
मनी लॉन्ड्रिंग मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत से सामने आया है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने 2014 में मात्र 1 लाख रुपये (10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से) में एके इंफोसिस्टम्स का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
एके इंफोसिस्टम्स के पास कथित तौर पर 1.77 करोड़ रुपये की जमीन थी। सीबीआई चार्जशीट के अनुसार 2017 में कंपनी ने अचानक प्रमोटर और निदेशक को 1.35 करोड़ रुपये वापस कर दिए। ठीक इसी समय लालू यादव पर आयकर विभाग का छापा पड़ा था। सीबीआई की चार्जशीट में आगे आरोप लगाया गया कि लालू ने रेल मंत्री के रूप में रेलवे में विकल्प के रूप में नियुक्त किए जाने वाले उम्मीदवारों की सूची के लिए पश्चिम मध्य रेलवे (WCR) के अधिकारियों पर दबाव डाला था।
यह आरोप लगाया गया था कि लालू यादव ने इनमें से कुछ उम्मीदवारों को रेलवे में ग्रेड डी की नौकरी दिलाने के बदले में रियायती दरों पर पटना के महुआबाग गांव में जमीन लिया था। सीबीआई ने बताया कि चुने गए अधिकांश उम्मीदवार बिहार के कुछ जिलों से थे, जहां लालू की राजनीतिक और वित्तीय रुचि थी। सीबीआई ने जिन 117 उम्मीदवारों की जांच की, उनमें से 113 बिहार से थे। इनमें से 108 अभी भी भारतीय रेलवे में काम कर रहे हैं।