ममता बनर्जी को फिर से मुख्यमंत्री बनने पर शुभकामनाएं देते हुए तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सासंद व शारदा चिटफंड घोटाले में प्रेसिडेंसी जेल में बंद कुणाल घोष ने राज्य के जेल मंत्री अवनी जोआरदार को पत्र लिख कर मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक अस्वस्थ माओवादियों की रिहाई की मांग की है। इसके साथ ही अपने सांसद कोटे की राशि का इस्तेमाल जेल में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने में नहीं किए जाने की ओर भी मंत्री का ध्यान आकर्षित कराया है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि 14 वर्ष की आजीवन सजा काट चुके कई कैदियों को रिहाई नहीं मिली है। उन्होंने मांग की कि आजीवन कैद की सजा काट चुके कैदियों को रिहा किया जाए। 2011 में जब ममता बनर्जी की सरकार सत्ता में आई थी उस समय राजबंदी कैदियों की मुक्ति की बात कही गई थी। जेल में कई माओवादी हैं, जो अस्वस्थ और बूढ़े हो चुके हैं और मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक हैं। उन्हें जेल से रिहाई दी जाए।
घोष ने पत्र में लिखा है कि उन्होंने अपने सांसद कोटे की 90 लाख रुपए की राशि राज्य के पांच संशोधनागारों प्रेसिडेंसी, अलीपुर, दमदम, उत्तर बंग व मेदिनीपुर में चिकित्सा व्यवस्था की मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए दी है, लेकिन अभी तक यह राशि रिलीज नहीं हुई है, चूंकि यह राशि जेल विभाग में मूलभूत सुविधाओं के विकास में खर्च होगी, इसलिए जेल मंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें।
इसके साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा है कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की लिखी पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है, लेकिन उन्होंने अपने कई लेख व पत्र प्रकाशित करने के लिए जेल अधिकारियों को सौंपा है, लेकिन अभी तक उन्हें रिलीज नहीं किया है। उन्होंने लिखा कि 13 नवंबर को उन्होंने नींद की गोली खाई थी। इस बाबत दो जेल कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने साफ किया कि उन्होंने खुद ही गोली खाई थी। इसमें जेल कर्मियों का कोई दोष नहीं था, इसलिए दोनों को फिर से ड्यूटी पर तैनात किया जाए।

