अत्रि मित्रा
पिछले कुछ सालों में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से सैकड़ों लोग ज्यादा कमाई (High Salary Jobs) की तलाश में कश्मीर की तरफ जाने लगे हैं। मुर्शिदाबाद जिले के सागरदिघी इलाके के ये लोग दो महीने के लिए वहां काम करने जाते हैं। 40 वर्षीय मैनुल हक मुर्शिदाबाद जिले के बहलनगर से कश्मीर घाटी जाने वाले कुछ शुरुआती लोगों में शुमार थे। उसकी बहन रुकसाना बेवा (45) कहती है, ‘1998-99 में मैनुल 20 साल का था, तब वो बेहतर काम की तलाश में दिल्ली गया था। 2-3 महीनों तक हमें उसकी कोई खबर नहीं मिली। लेकिन जब वो लौटा तो साथ में काफी पैसे लेकर आया।’
हर साल अक्टूबर में जाते हैं कश्मीरः घर लौटने के बाद हक ने अपने परिवार और गांव वालों को दिल्ली में मिले अनुभव के बारे में बताया। उसने एक मजदूर ढूंढ रहे एक कश्मीरी से हुई मुलाकात के बारे में बताया। साथ ही यह भी बताया कि वहां कैसे ज्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं। इसी तरह ज्यादा कमाई की उम्मीद में फिर गांव के दूसरे लोगों ने भी हर साल अक्टूबर के महीने में कश्मीर जाना शुरू कर दिया और यह सिलसिला बढ़ता गया।
फेवरेट जॉब डेस्टिनेशन बना कश्मीरः 4-5 सालों में बहलनगर और आसपास के गांवों के लोगों में कश्मीर लोकप्रिय जॉब डेस्टिनेशन बन गया। बीते दो दशकों में वहां जाने वाले लोगों की संख्या लगभग 400 तक पहुंच गई है। हक की पत्नी 30 वर्षीय रखीना बीबी कहती है, ‘इस साल भी हक गांव के अन्य लोगों के साथ कश्मीर गए थे। अभी वे लौटे नहीं हैं। मंगलवार को उन्होंने मुझे फोन कर कहा था कि वो सुरक्षित हैं।’
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अब केरल की तरफ रुख कर रहे लोगः कश्मीर में लगातार हमलों के चलते इस साल जरूर वहां जाने वालों की संख्या में थोड़ी कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रवासी कश्मीरियों को निशाना बनाया जाना इसकी बड़ी वजह है। अब ये लोग केरल की तरफ रुख कर रहे हैं। कश्मीर में मारे गए यहां के लोगों के पास रहने वाली सेरिना बीबी (60) ने कहा, ‘यहां काम कहां है? फसल उगाने वाले मौसम के अलावा मजदूरों के पास यहां कोई काम नहीं है?’ हक की पड़ोसी 35 वर्षीय सलेमा बीबी ने कहा, ‘कश्मीर में हमारे लोग कम समय में ज्यादा पैसे कमा सकते हैं। सेब की सीजन में वे 800 रुपए रोजाना तक कमा लेते हैं, जबकि यहां 250 रुपए तक ही मिलते हैं।’