Bihar Minister Leshi Singh: बिहार की नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री लेसी सिंह इस वक्त चर्चा में हैं। उन्होंने जेडीयू विधायक बीमा भारती को पांच करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। भारती ने आरोप लगाया था कि लेसी सिंह हत्याओं और जबरन वसूली में शामिल थीं। मानहानि का नोटिस मिलने के बाद बीमा भारती ने लेसी सिंह पर निशाना साधा है।
बीमा भारती ने पूर्णिया के सरसी पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR की कॉपी मीडिया के सामने पेश की। 2020 में दर्ज FIR में लेसी सिंह को कथित तौर पर हत्या के एक मामले में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
नोटिस भेजकर मेरे ऊपर दबाव बनाने की कोशिश: बीमा भारती
बीमा भारती ने कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा वह कुछ भी गलत नहीं था। मेरे पास एफआईआर के रूप में साक्ष्य हैं, जो दर्शाता है कि लेसी सिंह हत्या के मामलों में शामिल थीं। वह हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैं। मुझे मानहानि का नोटिस भेजा गया है, क्योंकि मैं अति पिछड़ी जाति से आती हूं। वह 5 करोड़ रुपये के मानहानि नोटिस के साथ दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं।
जेडीयू विधायक ने मांग की कि हत्याकांड में मंत्री की कथित संलिप्तता के संबंध में ताजा खुलासे के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए। जदयू विधायक ने कहा, ‘इस मामले में न्याय तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक कि लेशी सिंह को सरकार में मंत्री पद से हटा नहीं दिया जाता।’
भारतीय जनता पार्टी, इस बीच जनता दल-यूनाइटेड के भीतर चल रही अंदरूनी कलह में कूद गई है और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा लगाए गए आरोपों को स्पष्टीकरण देने के लिए सीएम नीतीश कुमार से सवाल किया है। जिन्होंने विपक्ष के तत्कालीन नेता के रूप में लेसी सिंह पर हत्या का आरोप लगाया था।
नीतीश कुमार दें तेजस्वी के द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब: बीजेपी
भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट करते हुए लिखा, “नीतीश कुमार लेसी सिंह के बचाव में आए थे, जब बीमा भारती ने उन पर आरोप लगाए थे। नीतीश कुमार ने तब बीमा भारती का अपमान भी किया था। नीतीश कुमार को तेजस्वी द्वारा लगाए गए पहले के आरोपों का जवाब देना चाहिए, जिन्होंने कभी लेसी सिंह सीएम का चहेता और हत्या का आरोपी बताया था।
जानिए कौन हैं नीतीश सरकार में मंत्री लेसी सिंह
धमदाहा विधानसभा क्षेत्र के सरसी गांव की रहने वाली लेसी सिंह का जन्म 1974 में कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड स्थित गौआगाछी गांव में हुआ। उनके पिता स्व. गंगाशरण सिंह सरसी में ही बस गए। लेसी सिंह की शादी 16 साल की उम्र में गांव के ही समता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह से हो गई। 21 साल की उम्र में वो अपने पति के चुनाव प्रचार के लिए घर से निकल गई।
चुनाव हारने के बाद पति ने लेसी सिंह को सौंप दी थी राजनीति की बागडोर
साल 1995 में उनके पति धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और हार गए। इसके बाद सियासी सफर की पूरी बागडोर उनके पति ने लेसी सिंह के हाथों में ही थमा दी। उसके बाद तब से अब तक उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
लेसी सिंह ने साल 2000 में धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से समता पार्टी की प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। जिसके बाद सीमांचल की राजनीति में उनकी मजबूत इंट्री हुई। उस वक्त कोसी व पूर्णिया प्रमंडल में पार्टी को जीत दिलाने वाली वे पार्टी की एक मात्र उम्मीदवार थी, लेकिन उनकी इस जीत को न जाने किसकी नजर लग गई।
19 अप्रैल, 2000 को लेसी सिंह के पति की हत्या कर दी गई
19 अप्रैल 2000 को उनके पति की हत्या कर दी गई। जिसके बाद सियासी महकमे में यह चर्चा तेज हो गई कि लेसी सिंह का सियासी सफर अब थम जाएगा, लेकिन इसके बाद तो लेसी सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और विरोधियों की आवाज को अनसुना करते उन्होंने सीमांचल समेत पूरे बिहार में अपनी एक अलग पहचान बनाई। साल 2021 में उनको समता पार्टी की जिलाध्यक्ष बनाया गया। साथ ही विधानसभा में समता पार्टी की उप सचेतक भी बनी।
2005 में समता पार्टी का जदयू में विलय हो गया
साल 2005 में समता पार्टी का विलय जदयू में हो गया और वे जदयू प्रत्याशी के रुप में फिर से धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने में सफल हुईं, नवंबर 2005 में हुए मध्यावधि चुनाव में वे मामूली अंतर से चुनाव हार गई। साल 2006 में उनको जदयू के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष बनी। जिसके बाद 2 नवंबर 2007 को सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया।
साल 2010 में वो चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। इसके बाद फिर से साल 2015 में उन्होंने जीत हासिल की। साल 2020 में उन्होंने अपनी चुनावी जीत की हैट्रिक पूरी की। इसके बाद 9 फरवरी 2021 को बिहार के एनडीए सरकार में उनको खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में बनी महागठबंधन की नई सरकार में भी उनको पुन: खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया।