कर्नाटक में कांग्रेस ने बीजेपी पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार किताबों से आम्बेडकर, जैन धर्म और बौद्ध धर्म को धीरे-धीरे हटा रही है। कर्नाटक में स्कूली पाठ्यक्रम का मामला बढ़ता जा रहा है और 9 जून को कांग्रेस इसके विरोध में प्रदर्शन करेगी। वहीं बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस इस पूरे मामले पर राजनीति कर रही है।

कर्नाटक में स्कूली पाठ्यक्रम को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार के एक भाषण को क्लास 10 के सिलेबस में जोड़ दिया गया। इसके साथ ही आरोप लगा कि सरकार ने भगत सिंह, नारायण गुरु, बस्वन्ना जैसी हस्तियों के इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश की है। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रोहित चक्रतीर्थ की स्कूल पाठ्यपुस्तक संसोधन समिति को भंग कर दिया और विवादित कंटेंट के संसोधन के लिए राजी हो गए।

वहीं पूरे विवाद पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नंगेश ने मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को अगर शिक्षा में दिलचस्पी होती तो वे मामले की विषयवस्तु पर बोलते। वे इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहते हैं। कांग्रेस हर दिन नीचे आ रही है। वे छात्रों को गलत बातें सिखा रहे थे कि अकबर महान है और औरंगजेब ने देश को बदल दिया था। हम जनता के सामने किताब में बदलाव पेश करेंगे, लोगों से सुनने के बाद हम देखेंगे कि हम सबसे अच्छा क्या कर सकते हैं? इस महीने की 15 तारीख के बाद छात्रों को किताबें मिलेंगी।”

कर्नाटक के प्रगतिशील विचारकों और लेखकों ने जिनकी कर्नाटक समाज में गहरी जड़ें हैं, उन्होंने नेपी लंकेश, सारा अबू बैकर, ए एन मूर्ति राव जैसे प्रतिष्ठित लेखकों को किताब से काटने और आरएसएस के संस्थापक और हिंदुत्व के ध्वजवाहकों जैसे हेडगेवार, विचारक चक्रवर्ती सुलीबेले, संस्कृत के विद्वान बन्नंजे गोविंदाचार्य और शतवधानी गणेश को शामिल करने पर आपत्ति जताई है।

कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार के एक भाषण को शामिल करने के संदर्भ में कहा, “क्या आरएसएस भारत का मूल निवासी है? हम चुप हैं और इस पर बेवजह चर्चा नहीं करना चाहते। क्या आर्यन इसी देश के हैं? क्या वे द्रविड़ हैं? हमें उनके मूल को देखना होगा।” भाजपा ने पाठ्यपुस्तक विवाद को लेकर कांग्रेस द्वारा आरएसएस पर किए गए हमलों का विरोध किया है, लेकिन इसका एक संकेत है कि वह राजनीतिक घटनाक्रमों से चिंतित है। इसलिए सरकार ने विवादास्पद समिति को भंग करने और डॉ अंबेडकर और बसवन्ना से संबंधित भागों को संशोधित करने का फैसला किया है।

वहीं विवाद पर कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, “नेहरू ने स्वयं आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की और उन्होंने अपने हाथ जला लिए। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने कोशिश की और उनके हाथ जल गए। इस बार कांग्रेस अपने हाथ जलाएगी और कांग्रेस आग में जलकर राख हो जाएगी।” कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, “कांग्रेस आरएसएस के खिलाफ बदनामी का अभियान चला रही है, लेकिन लोग आरएसएस के बारे में सब कुछ जानते हैं।”