कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले मायावती ने बड़ा ऐलान किया है। मायावती ने कहा है कि उनकी पार्टी बीएसपी कर्नाटक राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। उनके इस बयान को कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के लिए टेंशन बढ़ाने वाला माना जा रहा है।

मायावती ने सोमवार शाम ट्वीट कर कहा कि कर्नाटक राज्य में विधानसभा के लिए शीघ्र ही होने वाले आमचुनाव में बीएसपी अकेले ही अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी, जिसकी तैयारी के सम्बंध में राज्य के वरिष्ठ व जिम्मेदार लोगों के साथ दिल्ली में आज हुई अहम बैठक में लगभग 60 प्रतिशत उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया।

बीएसपी प्रमुख ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि इन चयनित बीएसपी उम्मीदवारों की सूची शीघ्र ही वहां स्थानीय स्तर पर जारी की जाएगी। साथ ही, प्रदेश यूनिट को सख़्त हिदायत दी गई है कि बाकी बची विधानसभा सीटों पर भी ज्यादातर पार्टी के समर्पित व कर्मठ कार्यकर्ताओं को ही आगे बढ़ाएं व चुनाव मैदान में उतारें।

बीएसपी कैसे कर सकती है कांग्रेस का नुकसान?

राज्य में दलित समुदाय आमतौर पर कांग्रेस का समर्थन करता है। पिछले कुछ चुनाव में यह वोट बीजेपी को भी मिला है। अगर इस चुनाव में मायावती आक्रामकता के साथ प्रचार करती हैं तो यह कांग्रेस के लिए और भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।

बीएसपी का भले ही ग्राफ गिरा हो लेकिन आज भी देशभर के दलितों में मायावती और उनकी पार्टी की पहचान है। कर्नाटक की आबादी में से कुल 23 फीसदी लोग दलित समुदाय से संबंध रखते हैं। उत्तर भारत की तरह यहां भी जातियां चुनाव में बड़ी भूमिका निभाती हैं।

साल 2004 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एससी कैटेगरी के लिए रिजर्व 33 सीटों में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब यहां 7 पर कांग्रेस और 9 सीटों पर कुमारस्वामी की जेडीएस ने जीत दर्ज की थी। साल 2008 में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। यहां बीजेपी ने एससी कैटेगरी के लिए आरक्षित 36 में से 22 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस पार्टी को महज 8 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 17 विधानसभा सीटों, जेडीएस ने 9 औऱ बीजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राज्य में कुल 51 विधानसभा सीटें एससी और एसटी कैटेगरी के लिए रिजर्व हैं। 2013 में इनमें से बीजेपी को सिर्फ 7 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को 26 और जेडीएस को 11 सीटें हासिल हुई थीं।