कर्नाटक चुनाव सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के लिए बेहद अहम हो गया है। चुनाव के करीब आते ही दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की मौजूदा प्रमुख सोनिया गांधी तकरीबन दो साल बाद (अगस्त 2016 के बाद) पहली बार कर्नाटक में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार मैदान में उतरी हैं। सोनिया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान 2 अगस्त, 2016 में बनारस में रोड शो कर रही थीं, जब अचानक उनकी तबियत काफी बिगड़ गई थी। इसके बाद नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। पंजाब छोड़ कर कांग्रेस को हर राज्य में हार का सामना करना पड़ा था। सोनिया उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड के चुनावों में पूरी तरह से निष्क्रिय रही थीं। इसके बाद अब उन्होंने मंगलवार (8 मई) को बीजापुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। कर्नाटक में 12 मई को चुनाव होने वाले हैं।
कांग्रेस ने जहां सोनिया गांधी के जरिये पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने की बात कही है, वहीं भाजपा ने इसे कांग्रेस की घोर हताशा करार दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को ही बीजापुर में रैली को संबोधित किया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पीएम मोदी के भाषणों को देख और सुनकर यह संकेत मिलता है कि भाजपा पहले ही लड़ाई हार चुकी है। सत्तारूढ़ पार्टी को उम्मीद है कि सोनिया गांधी की मौजूदगी से क्षेत्र के वोटरों को कांग्रेस की तरफ मोड़ने में मदद मिलेगी। बता दें कि बीजापुर और बेलगाम ओल्ड बांबे-कर्नाटक क्षेत्र में आते हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने इस क्षेत्र में जबरदस्त सफलता हासिल की थी।
गोवा से लिया सबक: कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव से सबक लिया है। उनके मुताबिक, गोवा में कम सीट आने के बावजूद भाजपा सरकार बनाने में सफल रही थी, क्योंकि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। इस नेता का दावा है कि सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार करने से कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बांबे-कर्नाटक क्षेत्र में गांधी परिवार बहुत लोकप्रिय है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस क्षेत्र में अब भी सबसे बेहतरीन नेता के तौर पर जानी जाती हैं। ऐसे में सोनिया गांधी की मौजूदगी से मतदाताओं के बीच सीधा संदेश जाएगा। कांग्रेस शुरुआत से ही पूर्ण बहुमत मिलने का दावा कर रही है, लेकिन बदलते राजनीतिक समीकरणों और भाजपा के जोरदार प्रचार अभियान को देखते हुए वरिष्ठ नेताओं को प्रचार मैदान में उतारने का फैसला लिया गया। पार्टी गोवा जैसे हालात पैदा होने से बचने की कोशिश में है। ‘इंडिया टुडे’ के अनुसार, सोनिया गांधी सूखे की मार झेल रहे उत्तरी कर्नाटक में महादायी नदी जल विवाद को उठा सकती हैं। साथ ही इस मुद्दे पर केंद्र की ओर से सहयोग न मिलने का भी मसला उठाया जाएगा। दिलचस्प है कि गांधी परिवार की दो पीढ़ी (सोनिया और राहुल गांधी) कर्नाटक में एक साथ चुनाव प्रचार करेंगी।