पश्चिम बंगाल में महत्त्वाकांक्षी कन्याश्री योजना, कहने को तो एक योजना है लेकिन इसमें कई तरह से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जा रही है। मसलन कोख में कन्या भ्रूण हत्या में कमी, बाल तस्करी दर में गिरावट और स्कूल जाने वाली छात्राओं की संख्या में खासा इजाफा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कन्याश्री योजना की लोकप्रियता का डंका विदेश तक बजा और 2017 में इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने सम्मानित किया। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सूबे की बालाओं के लिए कन्याश्री योजना वरदान साबित हो रही है।
राज्य के महिला व बाल विकास विभाग के मुताबिक 2013 में इस परियोजना की शुरुआत की गई थी और 2017 तक इस मद में 7,588.90 करोड़ रुपए आबंटित किए गए और 7,237.28 करोड़ खर्च कर दिए गए। संबंधित विभाग की मंत्री शशि पांजा ने बताया कि कन्याश्री परियोजना के लिए अब तक 57 लाख से ज्यादा को नामांकित किया गया और इनमें से 56 लाख से ज्यादा को इस परियोजना का लाभ सीधे-सीधे मिलने लगा। महिला व बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर चौबीस परगना में कन्याश्री में सबसे अधिक नामांकन 5,49,415 हुए।
वहीं इस सूची में दूसरे स्थान पर दक्षिण चौबीस परगना जिला रहा, जहां से कुल 5,28,156 लड़कियों को नामांकित किया गया है। तीसरे व चौथे स्थान पर क्रमश: मुर्शिदाबाद और कोलकाता रहा। मुर्शिदाबाद में 5,26,482 और कोलकाता में 1,46,592 लड़कियों के नाम इस सूची में शामिल किए गए हैं।
मालूम हो कि 2013 में शुरू हुई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस महत्त्वाकांक्षी सशर्त नकद हस्तांतरण परियोजना का मकसद राज्य में बेटियों की स्थिति में सुधार व सभी किशोरियों की स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही बाल विवाह जैसी विकट समस्या की रोकथाम को अग्रसर होना है।
उक्त परियोजना के तहत लड़कियों को वार्षिक छात्रवृत्ति के रूप में एक हजार रुपए के साथ ही एकमुश्त 25 हजार रुपए अनुदान के तौर पर मुहैया कराए जाते हैं। वार्षिक छात्रवृत्ति 13 से 18 वर्ष की अविवाहित लड़कियों के लिए है, जिन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नियमित या समकक्ष ओपन स्कूल या समकक्ष व्यावसायिक या तकनीकी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में आठवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान प्रदान की जाती है। हालांकि, एकमुश्त अनुदान उन लड़कियों के लिए है, जो आवेदन के समय 18 वर्ष की गईं हों और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नियमित या ओपन स्कूल, कॉलेज, व्यावसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण या फिर खेल गतिविधि में सक्रिय हों।
इसके तहत विश्वविद्यालय की कला की छात्राओं को दो हजार और विज्ञान की छात्राओं को ढाई हजार रुपए की छात्रवृत्ति जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो कन्याश्री परियोजना के कारण ही प्रदेश में बाल तस्करी की घटनाओं में गिरावट आई है। जल्द ही प्रदेश के हर जिले में कन्याश्री कॉलेज की स्थापना की जाएगी।