हाल ही में पूरे हुए देश के पांच राज्यों के चुनावों में जहां भाजपा की ताकत बढ़ी है, वहीं बहुजन समाज पार्टी की ताकत कमजोर हुई है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी की आज हालत यह है कि राज्य में उसका केवल एक विधायक है। यही हाल दूसरे राज्यों में भी है। कुल आठ राज्यों में पार्टी के विधायक हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा राजस्थान में छह विधायक हैं। इसके अलावा एमपी, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में दो-दो विधायक हैं। यूपी, पंजाब, हरियाणा और बिहार में एक-एक विधायक हैं।
इन सब स्थितियों को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने अब बदलाव के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। मंगलवार को पार्टी संस्थापक कांशीराम की जयंती पर मायावती ने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में उनको श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने रितेश पांडे के स्थान पर गिरीश चंद्र को लोकसभा में पार्टी का नया नेता बनाने का फैसला किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर उन्होंने इसकी सूचना भी दे दी है। पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किया कि उत्तर प्रदेश के नगीना संसदीय क्षेत्र से सांसद गिरीश चंद्र सदन में बसपा के नए नेता होंगे, जो अब तक मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
बसपा ने लालगंज लोकसभा क्षेत्र से सांसद संगीता आजाद को पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया है। श्रावस्ती से सांसद राम शिरोमणि वर्मा पहले की तरह लोकसभा में बसपा के उप नेता बने रहेंगे। उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर से लोकसभा सदस्य रितेश पांडे को बसपा ने जनवरी, 2020 में सदन का नेता बनाया था।
मायावती ने कांशीराम को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के करोड़ों दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अन्य उपेक्षित वर्गों को लाचारी की जिंदगी से निकाल कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के बसपा के संघर्ष के दृढ़ संकल्प के साथ लगातार डटे रहना ही कांशीराम को सच्ची श्रद्धांजलि है।
मायावती ने कहा, “वास्तव में वर्तमान में जारी चमचा युग में बाबा साहेब डॉक्टर आम्बेडकर मिशन पर अपने खून पसीने से अर्जित धन के बल पर डटे रहना कोई मामूली बात नहीं, बल्कि यह बड़ी बात है जो बहुजन समाज के आंदोलन की ही देन है और इसके बल पर ही बसपा ने खासकर उत्तर प्रदेश में कई ऐतिहासिक सफलताएं भी अर्जित की हैं। आगे भी हमें हर हाल में अपने उसूलों के साथ संघर्ष में लगातार डटे रहना है।”