मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की शासकीय नौकरियां अब केवल राज्य के बच्चों को ही दी जाएंगी और इसके लिए हम आवश्यक कानूनी प्रावधान कर रहे हैं। चौहान ने वीडियो संदेश जारी कर कहा, ‘आज मध्य प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। प्रदेश की शासकीय नौकरियां अब केवल राज्य के बच्चों को ही दी जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हम आवश्यक कानूनी प्रावधान कर रहे हैं।’ चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश का संसाधन राज्य के बच्चों के लिए हैं।

शिवराज चौहान के इस फैसले पर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बुधवार (19 अगस्त, 2020) को एक ट्वीट कर कहा कि ‘धरती का लाल’ (जन्मस्थान के आधार पर) सिद्धांत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(e) का उल्लंघन करता है। इसमें कहा गया है कि भारत के सभी नागरिकों को भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने का अधिकार है।

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दरअसल भारतीय संविधान विशेष रूप से जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है। इसी तरह संविधान का अनुच्छेद 16(2) कहता है कि राज्य (यहां देश) के तहत किसी भी रोजगार या कार्यालय के संबंध में कोई भी नागरिक, केवल धर्म, जाति, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान, निवास या इनमें से किसी के लिए भी अयोग्य नहीं माना जाएगा या उससे भेदभाव नहीं किया जाएगा।

 

सीएम शिवराज के फैसले पर राजनेता भी जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एमपी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज पर तंज कसते हुए कहा कि ‘चलिए 15 साल बाद आज आप युवाओं के रोजगार को लेकर नींद से जागे तो सही।’ वहीं, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया।

कांग्रेस के वरिष्ठ दिग्विजय सिंह ने कहा कि मेरी मांग शिवराज जी आपने स्वीकार की, धन्यवाद। उन्होंने चौहान पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि लेकिन जब तक शासकीय आदेश नहीं निकलेगा तब तक आप पर कैसे भरोसा करें? 15 साल तक किस बात का इंतजार था? हजारों मध्य प्रदेश के होनहार नौजवानों का हक आपने मारा और व्यापम के भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है? आप और केवल आप।