झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने सोमवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी को रांची के बिजुपारा इंडस्ट्रियल इलाके में सरकार से 11 एकड़ जगह मिली है। यह सब तब हुआ है जब मुख्यमंत्री खुद उद्योग मंत्रालय संभालते हैं।
दास ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि “हेमंत सोरेन की पत्नी को रांची के बिजुपारा इंडस्ट्रियल इलाके में 11 एकड़ जगह आवंटित की गई है। यह उस वक़्त है जब सोरेन खुद उद्योग मंत्री भी है। उन्होंने अपनी पत्नी को जगह दिलाने में अपने पद का दुरूपयोग किया है।”
दास ने आगे कहा कि सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने अपने पद का दुरूपयोग करके राज्य में खदानों के पट्टे हासिल किये हैं।
दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि “सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, अभिषेक प्रसाद 8 अप्रैल 2021 में साहेबगंज जिले में शिव शक्ति एंटरप्राइज के नाम से खदान का पट्टा मिला था, जिसके बाद इस खदान में करीब 90 लाख रुपए का निवेश किया गया है। इसके अलावा पंकज मिश्रा को भी साहेबगंज जिले में महाकाल स्टोन के नाम से पट्टा दिया गया है।”
इस पूरे मामले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा “हम उनके इस सवालों का मंगलवार को देंगे”।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जाति प्रमाण पत्र से धर्म के कॉलम को हटा दिया है जो सरना धर्म मानने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति लोगों के नुकसान पहुंचाएगा। सरना को झारखंड में अभी भी एक धर्म के मान्यता रूप में नहीं मिली है और इसके लिए मैंने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है कि अगली जनगणना में सरना को एक धर्म को मान्यता की जाए। आगे कहा कि जब राज्य में भाजपा की सरकार थी, तब सरना आदिवासियों के लाभ के लिए जाति प्रमाणपत्र धर्म के कॉलम जोड़ा गया था लेकिन मिशनरी के दबाब में इसे हटा दिया गया।
इससे पहले दास ने डाक्यूमेंट्स के जरिए दावा किया था कि सीएम को रांची इलाके में खदान का पट्टा मिला था, जिसके लिए पिछले साल जून में लेटर ऑफ़ इंटेंट जारी किया गया था। उसके लिए सीएम को पर्यावरण मंजूरी भी मिल चुकी है।इस पूरे मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। 8 अप्रैल को इस केस में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील राजीव रंजन ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से ‘गलती’ हो गई और पट्टे को वापस कर दिया गया है।
