झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया था। ईडी ने सात घंटे की पूछताछ के बाद 31 जनवरी 2024 को सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले, उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इन आरोपों से इनकार किया कि JMM के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने की कार्रवाई में राजभवन शामिल था।

राधाकृष्णन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “राजभवन के दुरुपयोग का कोई सवाल ही नहीं उठता। हमने हर लोकतांत्रिक नियम का सख्ती से पालन किया है।” राज्यपाल ने दावा किया कि राजभवन ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा था। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने खुद कहा था कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं।

हेमंत सोरेन का आरोप- राजभवन उनकी गिरफ्तारी में शामिल था

मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी से ठीक पहले, हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और चंपई सोरेन को इस पद के लिए चुना था। गिरफ्तारी के बावजूद हेमंत को 5 फरवरी को विधानसभा में नई सरकार के शक्ति परीक्षण में भाग लेने की अनुमति दी गई, जिस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि राजभवन उनकी गिरफ्तारी में शामिल था। गुरुवार को राज्यपाल ने रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व सीएम की गिरफ्तारी के बाद सामने आए कई मुद्दों पर बात की।

चंपई सोरेन ने राज्यपाल पर लगाया था आरोप

दरअसल, 5 फरवरी को विधानसभा में चंपई सोरेन द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव में भाग लेते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया था कि केंद्र द्वारा रची गई साजिश के बाद राजभवन ने उनकी गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने भी पति के X हैंडल के जरिए ये आरोप लगाए थे।

सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने 1 फरवरी की देर रात सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने से पहले 26 घंटे से अधिक समय में तीन बार राज्यपाल से मुलाकात की। गठबंधन ने उस समय देरी पर सवाल उठाया था, जिसके बाद राज्यपाल ने गुरुवार को कहा कि हर लोकतांत्रिक मानदंड का पालन किया गया था। यह एक बहुत ही अजीब स्थिति थी, और इसीलिए मैंने कानूनी सलाह मांगी थी।

हर लोकतांत्रिक मानदंड का पालन किया गया- राज्यपाल

राधाकृष्णन ने आगे कहा, “मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक मौजूदा सीएम फरार था और अगले ही दिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, जैसे ही मुझे सलाह मिली मैंने चंपई सोरेन को आधी रात तक आने के लिए कहा। हमने उनसे कभी भी अगले 24-48 घंटों में बहुमत साबित करने के लिए नहीं कहा लेकिन हमने 10 दिन का समय दिया। हर लोकतांत्रिक मानदंड का पालन किया गया।”

राज्यपाल ने आगे कहा, “हमें हेमंत सोरेन के इस्तीफे पर बहुत सारे फोन आ रहे थे। हमें लोगों से एक या दो फोन भी आए, जिसमें कहा गया कि वे नई सरकार के गठन का समर्थन नहीं करते हैं। फिर भी, हमने चंपई सोरेन को अपना निमंत्रण दिया तो राष्ट्रपति शासन लगाने का सवाल ही कहां है?