Jharkhand Assembly: झारखंड विधानसभा में शुक्रवार (11 नवंबर, 2022) को विभिन्न वर्गों को मिलने वाले कुल आरक्षण को बढ़ाकर 77 फीसदी करने संबंधी एक विधेयक को पारित किया गया। विधेयक में प्रस्ताव है कि राज्य संविधान की नौवीं अनुसूची में बदलाव के लिए केंद्र से आग्रह करेगा।

विधानसभा के विशेष सत्र (Jharkhand Assembly Special Session) में झारखंड पदों और सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम, 2001 में एक संशोधन पारित करके एससी, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्लयूएस) के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण 60 प्रतिशत से बढ़ा कर 77 फीसदी कर दिया है।

प्रस्ताव के मुताबिक, झारखंड में ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत का प्रावधान है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रविधान है। ओबीसी आरक्षण में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-एक) को 15 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-दो) का आरक्षण 12 प्रतिशत होगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण पूर्व से निर्धारित है। इस प्रकार राज्य में आरक्षण 77 प्रतिशत होगा। सरकार के सूत्रों ने कहा कि आरक्षण सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में प्रवेश पर लागू नहीं होता है।

बता दें, वर्तमान में झारखंड में एसटी को 26 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, जबकि एससी को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। ओबीसी को वर्तमान में राज्य में 14 प्रतिशत कोटा मिलता है और इसे बढ़ाना 2019 में सभी मुख्यधारा की पार्टियों का चुनावी वादा था, जिसमें झामुमो, कांग्रेस और राजद का सत्तारूढ़ गठबंधन भी शामिल था।

1932 भूमि रिकॉर्ड का प्रस्ताव भी पारित

आरक्षण के अलावा हेमंत सरकार ने विधानसभा में 1932 भूमि रिकॉर्ड का प्रस्ताव भी पारित कराया। विधानसभा के स्पेशल सेशन में झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और उनके लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभ के विस्तार के लिए विधेयक 2022 पारित किया गया। इस प्रस्ताव के तहत जिन लोगों के पूर्वज 1932 से पहले इस क्षेत्र में रह रहे थे और जिनके नाम उस वर्ष के भूमि अभिलेखों में शामिल थे, उन्हें प्रस्ताव लागू होने पर झारखंड के स्थानीय निवासी माना जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा में बोलते हुए कहा कि आज का दिन राज्य के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।