हरियाणा में जाट नेताओं ने धमकी दी है कि अगर राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने 17 मार्च तक आरक्षण की उनकी मांग पूरी नहीं की तो फिर से आंदोलन किया जाएगा। आॅल इंडिया जाट महासभा के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने मंगलवार कहा, ‘17 मार्च को हम आगे के कदमों पर फैसला करेंगे कि क्या सड़कें, रेल मार्ग बंद करना है या किसी दूसरे तरह का आंदोलन करना है।’ उन्होंने कहा कि राज्य के जाट नेताओं ने फैसला किया है कि अगर राज्य सरकार कदम नहीं उठाती है तो समुदाय के सदस्य फिर से सड़कों पर उतरेंगे। मलिक ने यह भी कहा कि इस बार धरना ग्रामीण इलाकों में भी दिया जाएगा।

अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान ने कहा, ‘राज्य सरकार के पास 17 मार्च तक का समय है। अब तक सरकार ने हमारी किसी भी मांग का जवाब नहीं दिया है।’ जाट समुदाय के सदस्यों ने सोमवार पूरे राज्य में प्रदर्शन किया था। मलिक ने कहा कि ‘सरकार जाट समुदाय के सदस्यों को कुचलने पर आमादा है जबकि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।’

उन्होंने कहा कि सरकार को अपने मंत्रियों पर नियंत्रण करना चाहिए कि वे जाट समुदाय के खिलाफ बयान जारी नहीं करें। मलिक ने कहा कि जाट आंदोलन 13 राज्यों में 2005-06 से चल रहा है और यह शांतिपूर्ण रहा है। जाट नेता ने कहा कि हरियाणा में राजनीतिक दलों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए इस समुदाय को बदनाम किया है।

मलिक ने हाल की हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से कराने की मांग की है। हिंसा में 30 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को विधानसभा के मौजूदा सत्र में विधेयक लाना चाहिए ताकि जाटों के लिए आरक्षण सुनिश्चित हो सके, ‘जिन लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की थी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।’

उधर, रोहतक में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके गर्ग ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी। जाट आंदोलन के समय हुई हिंसा के संदर्भ में वीरेंद्र सिंह के खिलाफ देशद्रोह तथा कई दूसरे आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस वीरेंद्र सिंह की तलाश कर रही है और उसका कहना है कि उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है।