भाजपा और सरकार ने इशरत जहां मामले को लेकर सोमवार (18 अप्रैल) को कांग्रेस पर तीखा हमला किया और दावा किया कि पार्टी इस बहाने नरेंद्र मोदी को खत्म कर देना चाहती थी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस योजना पर बड़ी सक्रियता से काम किया। मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए, जिसमें दावा किया गया है कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मुठभेड़ मामले के पहले हलफनामे पर दस्तख्त किए थे, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस, खासतौर से सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि चिदंबरम ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पार्टी को राजनीतिक तौर पर मोदी से लोहा लेना कहीं मुश्किल लगा।
उन्होंने कहा- आपने आतंक की योजना इस तरह से बनाई जो उन्हें (मोदी को) खत्म कर सकती थी। आपने यह साफ तौर पर माना कि आप इससे राजनीतिक तौर पर नहीं लड़ सकते थे। इसलिए खत्म करो या खत्म करने की इजाजत दो या उस नेता के खात्मे को बढ़ावा दो, जिससे राजनीतिक तौर पर लड़ा नहीं जा सकता।
भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा- हम (कांग्रेस) हरसंभव स्तर पर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि वह किसी एक वर्ग के खिलाफ हैं, ऐसा दिखाया जाएगा जैसे उनके खिलाफ कोई आतंकी खतरा नहीं था। उन्होंने कहा कि यह बहस सिर्फ चिदंबरम तक ही सीमित नहीं रही। सोनिया गांधी ने इस पर सक्रियता से काम किया। यही वजह है कि वे उस शहर में गईं और कहा कि मुठभेड़ हुई है हालांकि ऐसी कोई खुफिया सूचना नहीं थी कि कोई आतंकी साजिश थी।
सीतारमन ने कहा- वे चुपचाप यह देखना चाहते थे कि आतंकी साजिश एक राजनीतिक विरोधी का खात्मा करने के स्तर तक बढ़ जाए। सबसे गंभीर चिंता की बात यह है कि देश के गुप्तचर और प्रति गुप्तचर तंत्र को किस तरह से कमजोर किया गया।
केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने भी कांग्रेस और चिदंबरम पर निशाना साधा और कहा कि वे अकेले इस तरह के राष्ट्र विरोधी कृत्य को अंजाम नहीं दे सकते थे। उन्होंने मीडिया से कहा- कांग्रेस के आकाओं की तरफ से कुछ राजनीतिक दबाव रहा होगा, जिसकी वजह से इस तरह की कार्यवाही की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि चिदंबरम रंगे हाथ पकड़े गए हैं और अब वे भाग नहीं सकते। अकेले चिदंबरम नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।