UP Bypolls: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा निशाना साधा है। अखिलेश ने कहा कि प्रदेश की जनता 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए मैदान में उतर चुकी है। बीजेपी की पराजय को कोई नहीं रोक सकता है।
कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमलावर होते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘जब उपचुनावों में भी भाजपा को हराने के लिए जनता मैदान में उतर चुकी है तो भाजपा कुछ अधिकारियों को हटाने का कितना भी शासकीय-प्रशासकीय नाटक कर ले, कोई उनको पराजय से नहीं रोक सकता। देखना यह भी है कि उनकी जगह जो अफसर आएंगे, उनकी निष्पक्षता पर मोहन कौन लगाएगा।’
सपा चीफ ने कहा कि भाजपा उपचुनावों में अपनी 10/10 की हार के अपमान के बहाने ना ढूंढे। अगर भाजपा जन-विरोधी नहीं होती तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते। महंगाई, बेरोजगारी, बेकारी,पुलिस भर्ती, नीट परीक्षा, महिला सुरक्षा,संविधान और आरक्षण की रक्षा, नजूल भूमि जैसे मुद्दों से लड़ने के लिए भाजपा कब और किसे नियुक्त करेगी?
अखिलेश ने आगे लिखा कि कुछ विशेष अधिकारियों को चुनावी जिम्मेदारी से हटाने की बात कहकर भाजपाइयों ने यह बात स्वीकार ली है कि उनकी सरकार में शायद कुछ चुनावी घपले अधिकारियों के स्तर पर होते हैं। यह भाजपा की अपनी सरकार के साथ ही साथ चुनाव आयोग के ऊपर भी…चुनाव आयोग स्वत:संज्ञान ले।
इससे पहले सपा प्रमुख ने कहा था कि भाजपा की ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का सच ये है कि उप्र भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त की गईं बीसी सखियों को सिर्फ 405 रुपए प्रति माह का मानदेय मिल रहा। ये मानदेय नहीं, ‘अपमानदेय’ है। और कोई सरकार होती तो उससे अधिक राशि की माँग भी कर सकते थे। कृपया प्रति माह को प्रतिदिन मानकर पढ़ने की महाभूल न करें।
वहीं इससे पहले एक अन्य पोस्ट में अखिलेश यादव ने कहा था कि किसी भी प्रकार के आरक्षण का मूल उद्देश्य उपेक्षित समाज का सशक्तीकरण होना चाहिए, न कि उस समाज का विभाजन या विघटन, इससे आरक्षण के मूल सिद्धांत की ही अवहेलना होती है। अनगिनत पीढ़ियों से चले आ रहे भेदभाव और मौकों की गैर-बराबरी की खाई चंद पीढ़ियों में आए परिवर्तनों से पाटी नहीं जा सकती। ‘आरक्षण’ शोषित, वंचित समाज को सशक्त और सबल करने का सांविधानिक मार्ग है, इसी से बदलाव आएगा, इसके प्रावधानों को बदलने की आवश्यकता नहीं है।
अखिलेश ने कहा था कि भाजपा सरकार हर बार अपने गोलमोल बयानों और मुक़दमों के माध्यम से आरक्षण की लड़ाई को कमज़ोर करने की कोशिश करती है, फिर जब पीडीए के विभिन्न घटकों का दबाव पड़ता है, तो दिखावटी सहानुभूति दिखाकर पीछे हटने का नाटक करती है। भाजपा की अंदरूनी सोच सदैव आरक्षण विरोधी रही है। इसीलिए भाजपा पर से 90% पीडीए समाज का भरोसा लगातार गिरता जा रहा है। आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा की विश्वसनीयता शून्य हो चुकी है। पीडीए के लिए ‘संविधान’ संजीवनी है, तो ‘आरक्षण’ प्रायवायु!