रेलवे ने ट्रेनों के आगे जीरो लगाकर सिर्फ 10 महीने में 280 करोड़ रुपये कमा लिए हैं। ये आंकड़े सिर्फ लखनऊ के चारबाग स्टेशन से खुलने और गुजरने वाली गाड़ियों के हैं। पूरी यूपी की बात को ये आंकड़ा 800 करोड़ हो जाता है।
दरअसल कोरोना के पहले लॉकडाउन में ट्रेनों को बंद करने के बाद जब दोबारा से शुरू किया गया तो कई नियमित ट्रेनों के नंबर के आगे जीरो लगा दिए। अब इस जीरो के लगाने से जो ट्रेन नियमित थी, वो स्पेशल में बदल गई। जिसके कारण जनरल, स्लीपर और एसी के किराये में भी वृद्धि हो गई।
रेलवे ने अपने इस आइडिये से सिर्फ यूपी से 800 करोड़ रुपये कमा लिए हैं। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार अगर हम चारबाग रेलवे स्टेशन की बात करें तो यहां से आम तौर पर 165 रेलगाड़ियां गुजरती या चलती थीं, लेकिन कोरोना के बाद 40 के करीब मेमो और पैसेंजर ट्रेनें बंद हैं। इस हिसाब से 125 ट्रेनें यहां से गुजरती हैं। कुल स्पेशल ट्रेनों की इनकम को लेकर रेलवे के पास अभी डाटा उपलब्ध नहीं है।
सिर्फ लखनऊ की बात करें तो इन 125 ट्रेनों से 600 लोगों ने औसतन रोज सफर किया है। इन यात्रियों से रेलवे ने अलग-अलग श्रेणियों के हिसाब से स्पेशल के नाम पर 125 रुपये अधिक वसूले हैं। इस तरह से एक महीने में रेलवे ने इनसे 28 करोड़ रुपये कमाए। इसी को अगर हम पिछले 10 महीनों के हिसाब से देखें तो सिर्फ चारबाग से 280 करोड़ की अतिरिक्त कमाई रेलवे ने की है। ये सिर्फ एक स्टेशन का आंकड़ा है, जो और भी ज्यादा हो सकता है।
रेलवे अधिकारी की मानें तो यह तरीका कोरोना काल में हुए घाटे की भरपाई के लिए निकाला गया है। हालांकि सवाल ये उठता है कि जब सुविधाएं नियमित ट्रेनों वाली हैं, कई मायने में तो वो भी नहीं, जैसे खाने और कंबल अब भी बंद ही हैं। तो फिर एक्स्ट्रा किराया किस लिए?
इसी तरह रेलवे ने अपने साधारण टिकटों के काउंटर को भी बंद कर रखा है। ये टिकटें भी रिजर्वेशन वाली टिकट काउंटर पर ही मिल रही है। यहां भी यात्रियों से 15 रुपये रिजर्वेशन के नाम पर ज्यादा लिए जाते हैं।