उत्तराखंड में आजकल भू-कानून को लेकर जबरदस्त राजनीतिक सरगर्मी है। राज्य की मौजूदा पुष्कर सिंह धामी सरकार ने पिछले साल जुलाई में सत्ता पर काबिज होने के बाद अगस्त के महीने में भू-कानूनों के अध्ययन और परीक्षण के लिए राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता एक कमेटी बनाई थी। लगभग एक साल बाद गहन परीक्षण के बाद इस समिति ने 80 प्रश्नों की अपनी रिपोर्ट 23 संस्तुतियों के साथ धामी को रिपोर्ट सौंप दी है।
सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा की पिछली त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के भू-कानूनों पर जबरदस्त सवाल उठने लगे हैं और विपक्ष ने घेराबंदी करनी शुरू कर दी है। सुभाष कुमार समिति ने राज्य सरकार से सख्त भू-कानून बनाने की सिफारिश की है। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय भू कानूनों के नाम पर जिस तरह से जमीन की खरीद-फरोख्त में छूट दी गई थी अब उस पर रोक लगेगी। माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार पर्वतीय राज्य की जनता की भावना को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश की तरह कड़ा भू कानून ला सकती है ताकि पिछली सरकारों में राज्य में तेजी से फल-फूल रहे भू माफिया के ऊपर नकेल डाली जा सके।
राजनीतिक विशेषज्ञ अवनीत कुमार घिल्डियाल का कहना है कि उत्तराखंड की पूर्व सरकारे भूमि सुधार के नाम पर कड़े से कड़ा भू-कानून बनाने का ढिंढोरा तो पीटती रहीं परंतु धरातल पर उन्होंने जो भी कानून बनाए उन से राज्य में भू-माफिया वर्चस्व ही कायम हुआ। मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों के धन्ना सेठों की तिजोरी के मुंह पहाड़ों की जमीन को अंधाधुंध तरीके से खरीदने के लिए खुल गए। इन धन्ना सेठों की आलीशान कोठियां और होटल तो बने परंतु आम जनता को कोई फायदा नहीं हुआ।
समिति की रिपोर्ट आने के बाद राजनीतिक गहमागहमी के बीच राज्य सरकार ने कहा है कि व्यापक जनहित तथा प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार कर भू-कानून में संशोधन किया जाएगा और राज्य की जनता की भावनाओं के अनुरूप ही कानून बनाया जाएगा। सुभाष कुमार समिति ने सभी जिलाधिकारियों से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि क्रय की स्वीकृतियों का विवरण मांग कर उनका परीक्षण भी किया और समिति ने तय किया कि जिलाधिकारियों को पिछली सरकार द्वारा किए गए भूमि क्रय की स्वीकृति के अधिकारों को निरस्त किया जाए और यह अधिकार शासन स्तर पर ही दिए जाएं।
समिति ने राज्य में निवेश और रोजगार बढ़ाने के साथ भूमि के दुरुपयोग को रोकने पर भी ज्यादा ध्यान दिया है। समिति ने अपनी संस्तुतियों में ऐसे बिंदुओं को भी शामिल किया है, जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हो। समिति ने साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरुपयोग रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश की तरह कानून बनाने की सिफारिश की है। सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट आने के बाद नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि राज्य सरकार समिति की रिपोर्ट के नाम पर कड़ा भू-कानून लागू करने की बात कह कर कुछ लोगों को डरा रही है। उन्होंने कहा कि धरातल पर राज्य सरकार भू-कानून लाए।
वहीं, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि पिछली त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा सरकार जो भू कानून लाई थी, मौजूदा धामी भाजपा सरकार उस कानून की समीक्षा करवा कर नया भू कानून लाने की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य हित में कड़ा भू-कानून लाने की मौजूदा सरकार साहस दिखाती है तो वे उसका स्वागत करेंगे।
फिलहाल सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट आने के बाद भू-कानूनों में कितना सुधार होता है यह तो वक्त बताएगा परंतु भू-माफिया और उनके राजनीतिक आकाओं में फिलहाल घबराहट है क्योंकि नौकरियों में भर्ती कांड के बाद सरकार ने जिस तरह से जांच बिठा दी है और एक के बाद एक गिरफ्तारियां हो रही हैं, उससे भूमि सुधार कानूनों को लेकर भी कदम उठाए जाने की बात है।