ओडिशा की राजनीति नवीन पटनायक के ज़िक्र के बिना अधूरी मानी जाती है। सवाल यह उठता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बाद कौन होगा जो इस प्रदेश की बागडोर संभालेगा?
इंडियन एक्सप्रेस की एक टीम ने चुनावी राज्य का दौरा किया और इस दौरान संबलपुर में एक प्राइवेट टेलिकॉम ऑपरेटर के लिए काम करने वाले सूरज बेहरा से बात की, वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, “नवीन बाबू हमारे लिए ठीक हैं।”
जब उनसे पूछा गया कि उनके बाद कौन? क्या उनके लंबे समय के सहयोगी वी के पांडियन उनकी जगह लेंगे?
तो वह जवाब देते हैं, “नहीं, पांडियन उड़िया नहीं हैं, नवीन बाबू के बाद, मुझे नहीं पता। मैं अभी किसी और के बारे में नहीं सोच सकता।”
ओडिशा में नवीन पटनायक के नेतृत्व में राज्य में 24 साल तक शासन करने वाले सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) के सामने ये सवाल एक बड़ी चुनौती है।
यहां 13 मई से 1 जून के बीच चार चरणों में मतदान हो रहा है। राज्य में विधानसभा (147 सीटें) और लोकसभा (21 सीटें) दोनों के लिए एक साथ मतदान हो रहा है।
बीजेपी के पास भी नहीं है पटनायक के मुकाबले का चेहरा?
यहां बात की जाए BJP की तो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले BJP की BJD के साथ गठबंधन की बातचीत को लेकर हवा चली थी लेकिन इसका परिणाम निकल कर सामने नहीं आ सका था।
फिलहाल प्रदेश में भाजपा को कोई ऐसा चेहरा नहीं मिल पाया है जिसे पटनायक के विकल्प के रूप में पेश किया जा सके। यहां तक कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, जो चुनावों की घोषणा के बाद से पहले ही तीन बार राज्य का दौरा कर चुके हैं, अभी तक किसी ऐसे नेता को पेश नहीं कर सकें जिसे नवीन पटनायक के विकल्प के तौर पर रखा जा सके।
नवीन पटनायक को लेकर क्या है ओडिशा के लोगों की राय?
गंजम जिले के कबीसूर्यनगर विधानसभा क्षेत्र के पाइकापाड़ा गांव में 47 वर्षीय प्रतिमा बिसोयी कहती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने लिए कमाने लगूंगी। अब कम से कम मुझे पैसे के लिए अपने पति पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। उन्होंने नवीन सरकार की योजनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा,”पटनायक सरकार की अन्य योजना, बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना, एक आशीर्वाद है। यह योजना महिलाओं को प्रति वर्ष 10 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज का अधिकार देती है, जो पुरुषों की तुलना में दोगुना है।”‘
प्रतिमा की तरह महिलाएं अक्सर पटनायक को अपने हितों के ‘रक्षक बताती दिखती हैं और पटनायक भी महिलाओं को प्राथिमिकता देते रहे हैं। इसका एक उदाहरण ओडिशा सरकार ने ‘ममता’ योजना शुरू की, जिसके तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 5,000 रुपये मिलते हैं।
वीके पांडियन को लेकर क्या चर्चा?
बीजेपी और बीजेडी फिलहाल प्रदेश में आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। जिन मुद्दों को बीजेपी ने प्रमुखता से उठाया उनमें बीजेडी के भीतर CM पटनायक के सलाहकार वीके पांडियन की बढ़ती सक्रियता है। बीजेपी ने इस दौरान ‘उड़िया अस्मिता’ (उड़िया गौरव)’ का सहारा लिया है और पांडियन पर निशाना साधा। संबलपुर से लेकर भुवनेश्वर, नबरंगपुर से लेकर मयूरबंज तक, अधिकांश मतदाता, यहां तक कि बीजद समर्थक भी, पटनायक के उत्तराधिकारी पांडियन की बढ़ती सक्रियता से नाराज हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सूरज बोहरा कहते हैं, “हम नवीन बाबू को चुन रहे हैं। वह ठीक हैं। लेकिन हम पांडियन को स्वीकार नहीं कर सकते, वह तमिलनाडु से हैं। हमारा नेता एक उड़िया होना चाहिए। बीजेडी के लोग पहले से ही अहंकारी हो गए हैं, अगर पांडियन कार्यभार संभालते हैं, तो यह और भी बुरा होगा।”
हालांकि BJD में कई लोगों के साथ-साथ बीजद के मतदाता भी पांडियन के पटनायक के उत्तराधिकारी बनने की संभावना को खारिज करते हैं, लेकिन कुछ मानते हैं कि पूर्व आईएएस अधिकारी का कद बढ़ता जा रहा है। पांडियन के रोड शो में बीजद से जुड़े युवाओं और छात्र नेताओं की भी अच्छी-खासी भीड़ उमड़ती है। पांडियन ने पिछले वर्ष के दौरान कम से कम तीन बार 147 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करके ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास किया है।
BJD के एक पदाधिकारी कहते हैं,“कौन कहता है कि पांडियन उत्तराधिकारी होंगे? उनकी भूमिका यह देखना है कि नवीन बाबू के फैसले लागू हों। इससे ज्यादा कुछ नहीं।”