Delhi News: दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने 16 अक्टूबर को पुलिस हेडक्वार्टर में दीवाली मिलन समारोह पार्टी आयोजित की गई। इसमें असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर सुरेश को भी आमंत्रित किया गया था। जब पुलिस कमिश्नर ने उनसे हाथ मिलाया तो उन्हें अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा था। 35 साल से ज्यादा के अपने करियर में, उन्होंने कभी किसी पुलिस कमिश्नर से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं की, उनके दफ्तर में जाना तो दूर की बात है। यह पार्टी पुलिस कमिश्नर द्वारा खास तौर पर आईपीएस अधिकारियों के लिए आयोजित की जाती है।
सुरेश को क्यों आमंत्रित किया गया था?
एएसआई सुरेश को एक बड़ी चोरी को रोकने की उनकी कोशिश की वजह से गुरुवार को गोलचा द्वारा असधारण कार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सुरेश ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “मुझे जो पुरस्कार मिला, उससे भी ज्यादा भावुक करने वाला वह निमंत्रण था। मैंने कभी खुद को कमिश्नर से हाथ मिलाने के लिए आईपीएस अधिकारियों के साथ कतार में खड़े होने के बारे में नहीं सोचा था।”
पुलिस कमिश्नर तक उनकी यात्रा 15 अक्टूबर को शुरू हुई। लगभग 3 बजे आउटर दिल्ली के पश्चिम विहार पश्चिम पुलिस स्टेशन में तैनात सुरेश, कांस्टेबल अरुण के साथ चौधरी प्रेम सुख मार्ग पर ईआरवी में सवार होकर निकले थे। सुरेश ने कहा, “मैंने सड़क पर एक के बाद एक दो मारुति इको गाड़ियां खड़ी देखीं। दोनों गाड़ियों में दो-दो आदमी बैठे थे। मैंने पहली गाड़ी के ड्राइवर को नियमित जांच के लिए बाहर आने को कहा।”
गाड़ी से दो आदमी उतरे और तेजी से पीछे वाली गाड़ी की तरफ बढ़े। दूसरी गाड़ी का पिछला दरवाजा खुला, दोनों उसमें सवार हो गए और वैन भाग गई। सुरेश ने कहा, “मुझे अब भी नहीं लगा कि वे अपराधी थे। रात में पुलिस जब लोगों को रुकने के लिए कहती है, तो वे अक्सर भाग जाते हैं।” हालांकि, अब वाहन का पीछा करना पड़ा।
ये भी पढे़ं: पति ने गुम कर दिया मोबाइल, पत्नी के खौफ से बनाई झपटमारी की झूठी कहानी
जल्द ही कांस्टेबल अरुण ने सुरेश को साथ लेकर ईआरवी शुरू कर दी और तेज स्पीड से पीछा शुरू हो गया। सुरेश ने कहा, “हम उनके पीछे गए, दुर्लभ नाथ मार्ग पर, गाड़ी को रुकना पड़ा क्योंकि डीसीपी (आउटर) सचिन शर्मा के निर्देश पर सड़क पर बैरिकेडिंग की गई थी। इसलिए, इको गाड़ी मुड़ गई और धोबी घाट की ओर चल पड़ी।”
सुरेश और अरुण पीछे-पीछे गए। एक और मोड़ पर, इको को एक और बैरिकेड मिला। सुरेश ने कहा, “तभी चारों लोग गाड़ी छोड़कर एक संकरी गली की ओर भागने लगे। हमारी ईआरवी उस गली में नहीं घुस रही थी, इसलिए मैं और अरुण पैदल ही उनका पीछा करने लगे। जल्द ही, चारों लोग अलग-अलग दिशाओं में भाग गए। इसलिए, हमने उनमें से एक का पीछा करने का फैसला किया ताकि कम से कम एक तो पकड़ा जा सके।”
अरुण युवा और कहीं ज्यादा तेज हैं, जबकि सुरेश 55 साल के हैं। फिर भी, सुरेश ने दौड़ना चुना। सुरेश को चिंता हुई कि कहीं आरोपी के पास हथियार तो नहीं है। सुरेश ने हंसते हुए कहा, “मैंने अरुण के साथ आरोपी को पकड़ लिया। मुझे अपनी इस रनिंग पर बहुत गर्व है, मैं इनकार नहीं करूंगा।”
जमानत पर बाहर आया था आरोपी
जिस आदमी को उन्होंने पकड़ा, उसका नाम लक्ष्मी नारायण बंसल (53) था, जो चार महीने पहले ही जमानत पर बाहर आया था। डीसीपी शर्मा ने बताया, “बंसल मोटर वाहन अधिनियम के तहत चोरी और दिल्ली भर में सेंधमारी के 70 से ज्यादा मामलों में शामिल रहा है। उसका सफर 1991 में शुरू हुआ था, जब उसे लोहा और कोयला चोरी करने के साथ-साथ दुकानों और गोदामों में सेंधमारी के लिए बार-बार गिरफ्तार किया गया था।”
मैं दूसरे आरोपियों को पकड़ने के बारे में सोच रहा हूं- सुरेश
पूछताछ के दौरान, बंसल ने सुरेश को बताया कि उसके पास रोहिणी में दो और इको गाड़ियां छिपी हैं। जब सुरेश ने उससे पूछा कि वह इको गाड़ियों में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है, तो बंसल ने बताया कि वह एक बड़ी डकैती की तैयारी कर रहा है। डीसीपी ने कहा, “जेल से रिहा होने के बाद, उसने मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में एक बैटरी गोदाम की गहन टोह ली और अगले 1-2 दिनों में होने वाली डकैती की तैयारी में चार इको वैन चुरा लीं। उसकी गिरफ्तारी से एक बड़ी चोरी को प्रभावी ढंग से रोका जा सका।” एएसआई सुरेश ने कहा, “मैं दूसरे आरोपियों को पकड़ने के बारे में सोच रहा हूं। कमिश्नर ने मेरे प्रति जो सम्मान दिखाया, मैं उसे फिर से महसूस करना चाहता हूं।”
ये भी पढ़ें :नकली घी बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दिल्ली पुलिस ने 6 लोगों को किया गिरफ्तार