Punjab News: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के कामकाज की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस के विपरीत, पार्टी उनसे सलाह नहीं ले रही है। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस में लौटने की संभावना को पूरी तरह खारिज किया। बीजेपी नेता सिंह ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए जिस तरह से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उससे उन्हें आज भी ठेस पहुंची है। इसलिए कांग्रेस में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता।

पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में अमरिंदर सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में सभी फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं और जमीनी नेताओं से परामर्श नहीं किया जाता। दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सिंह ने कहा, “बीजेपी मुझसे सलाह नहीं ले रही है। मुझे 60 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन मैं खुद को उन पर थोप नहीं सकता।”

पीएम मोदी की अमरिंदर सिंह ने तारीफ की

सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मोदी का ‘‘पंजाब के लिए विशेष स्नेह’’ है और वह राज्य के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री को बीजेपी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से अवगत करा दिया है, लेकिन वे व्यक्तिगत रूप से बीजेपी के कई राष्ट्रीय नेताओं को नहीं जानते हैं।

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नवजोत कौर पर भी साधा निशाना

पीटीआई से बात करते हुए सिंह ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू दोनों ही अस्थिर हैं। उन्होंने नवजोत कौर पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस को उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए। सिंह ने आगे कहा कि सिद्धू को क्रिकेट कमेंट्री पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें वह माहिर हैं। राजनीति उनके स्वभाव में नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी पंजाब में केवल शिरोमणि अकाली दल के साथ हाथ मिलाकर ही आगे बढ़ सकती है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पार्टियां पहले भी गठबंधन में रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन के बिना कोई सरकार नहीं बन सकती और गठबंधन का अभाव भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने से भी बड़ी आपदा होगी।

उन्होंने कहा, “अगर कैडर निर्माण उनकी (बीजेपी की) प्राथमिकता है, तो उन्हें तीन से चार कार्यकाल तक इंतजार करना होगा।” सिंह ने कहा कि वे कांग्रेस को अच्छी तरह समझते हैं और दावा किया कि पंजाब में पार्टी के नौ मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, लेकिन किसी का भी भविष्य उज्ज्वल नहीं है। उन्होंने कहा कि अब मजबूत सरकार बनाने की जिम्मेदारी बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल पर है।

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