यूपी वेस्ट का संभल इन दिनों सुर्खियों में है। वजह है वहां की प्राचीन मस्जिद के सर्वे के दौरान हुआ बवाल और फिर कई पुराने हिंदू मंदिरों का सामने आना। संभल सुर्खियों में इसलिए भी है क्योंकि वहां के मौजूदा सांसद जिया उर रहमान बर्क पर बिजली चोरी के आरोप लगे हैं। बिजली विभाग ने उनपर बहुत भारी जुर्माना लगाया है। इन सब कारणों से संभल पर न सिर्फ देश का बल्कि बीजेपी का फोकस हो गया है। 

बीजेपी के लिए संभल इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जता है कि यह वह जगह है जहां भगवान विष्णु के 10वें और आखिरी अवतार- कल्कि का अवतरण होना है।

यूपी वेस्ट लंबे समय से बीजेपी की पकड़ के बाहर माना जाता रहा है और भगवा दल किसी भी हाल में इस अवधारणा को बदलना चाहता है। लोकसभा चुनाव के लिए रालोद के साथ हुआ गठबंधन भी यही दर्शाता है। हाल के विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने सपा के गढ़ और मुस्लिम बाहुल्य सीट कुंदरकी पर जीत हासिल की है। ये सीट संभल से एकदम सटी हुई है।

पीएम ने रखी थी कल्कि मंदिर की आधारशिला

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बीजेपी के जुड़े सूत्रों ने बताया कि उनके इस प्रयास से संभल को अयोध्या, मथुरा और काशी (वाराणसी) के साथ पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल करने की तैयारी है। इस साल 19 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने संभल में कल्कि के भव्य मंदिर की आधारशिला रखी थी। यह कार्यक्रम अयोध्या में राम उद्घाटन के कुछ दिनों बाद ही हुआ था।

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कल्कि मंदिर के कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जब भगवान राम ने शासन किया, तब वह हजारों साल तक महसूस किया गया। भगवान राम की तरह कल्कि भी हजारों साल तक प्रभाव रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह समारोह “18 साल के इंतजार” के बाद आयोजित हुआ था।

मस्जिद के सर्वे के पक्ष में सीएम योगी

हाल में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र में सीएम योगी ने संभल की मस्जिद के सर्वे को डिफेंड करते हुए कहा कि बाबरनामा में उस जगह पर मंदिर की बात की गई है। उन्होंने शहर के कल्कि ‘संबंध’ का भी हवाला देते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के 10वें अवतार का जन्म संभल में होगा।

श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट के चेयरमैन आचार्य प्रमोद कृष्णम ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि पीएम मोदी जब से कल्कि धाम आए हैं, तब से संभल में चमत्कार पर चमत्कार हो रहे हैं। नई-नई खोज हो रही है। ऐसा लगता है कि भगवान का अवतार जल्दी होगा।”

सीएम योगी द्वारा विधानसभा में दिए गए बयान को ही दोहराते हुए उन्होंने कहा, “बाबर ने तीन मंदिरों को तोड़ा था। एक अयोध्या में, जिसे दोबारा बनाया जा चुका है। दूसरा पानीपत में और तीसरा संभल में, जो श्री हरि विष्णु के भावी अवतार के लिए था।” उन्होंने आगे कहा कि अब सम्भल को अपना हक मिलने की बारी है। उन्होंने कहा कि कल्कि मंदिर का निर्माण मकर संक्रांति के बाद शुरू हो जाएगा।

किस तरफ इशारा कर रहा प्रमोद कृष्णम का बयान?

‘प्रमोद कृष्णम का बयान संभल में नई-नई खोज’ संभल में शुरू हुए सर्वे के बाद की घटनाओं से जुड़ा था। संभल मस्जिद का सर्वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 6 जनवरी तक रोक दिया गया है। हालांकि इस दौरान संभल में एक अन्य पुराने मंदिर की खोज के दावे किए जा रहा है। यह मंदिर मुस्लिम बाहुल्य एरिया में है, यहां कुछ पुरानी मूर्तियां भी मिली हैं। ASI को हाल ही में संभल में एक सुरंग के अवशेष मिले हैं, जिसके बारे में कहा गया है कि इसका इस्तेमाल संभवतः 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के दौरान किया गया था।

सियासी रूप से भी महत्वपूर्ण है संभल

धार्मिक महत्व के अलावा के अलावा बीजेपी के लिए संभल और उसके आसपास के इलाकों का सियासी रूप से महत्वपूर्ण भी हैं। यहां साल 2014 के लोकसभा चुनावों को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी को कोई खास सफलता नहीं मिली है। यहां से सपा और बसपा को सफलता मिली है। साल 1998 और 1999 में खुद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने यहां से जीत हासिल की थी और साल 2004 में रामगोपाल यादव ने यहां से संसद पहुंचे थे।

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सपा के दिग्गज नेता रहे शफीकुर रहमान बर्क ने इस सीट पर 2019 में जीत हासिल की थी, इस साल हुए लोकसभा चुनावों में उनके पोते जिया उर रहमान बर्क यहां के सांसद बने। जिया उर रहमान बर्क पर संभल मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर मामला दर्ज है। उनपर बिजली विभाग ने बिजली चोरी के आरोप में बड़ा जुर्माना भी लगाया है।

बात अगर विधानसभा लेवल पर करें तो भी बीजेपी संभल में कोई खास प्रभाव नहीं दिखा पाई है। साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में संभल लोकसभा में आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर सपा ने कब्जा कर लिया था। सिर्फ एक SC आरक्षित चंदौसी पर बीजेपी की गुलाब देवी जीती थीं। गुलाब देवी को योगी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी है, जो उनकी जीत के महत्व की ओर इशारा करती है। हाल में हुए उपचुनाव में कुंदरकी में मिली जीत ने बीजेपी को नई गति दी है। कुंदरकी मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा है, यह संभल के पास ही है।

संभल का असर 2027 में दिखेगा?

बीजेपी के एक नेता का कहना है कि अगर उनका कैंपेन काम कर गया तो पार्टी को होने वाला फायदा सिर्फ संभल तक ही सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, “संभल को भगवान विष्णु के 10वें और अंतिम अवतार की जन्मस्थली माने जाने वाले एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल से जोड़ने से 2027 के विधानसभा चुनावों में आसपास के क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा।”

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क्या कहती है सपा?

संभल में सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे फिरोज खान (अब सपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य) कहते हैं कि बीजेपी के प्लान सफल नहीं होंगे। वो कहते है, “बहुत कोशिश करने के बाद भी वो संभल लोकसभा में प्रभाव डालने में असफल रहे। सपा ने यह सीट अच्छे मार्जिन से जीती। कुंदरकी में मिली जीत से बीजेपी के लग रहा है कि वो संभल के लोगों की थिंकिंग बदल देगी लेकिन ऐसा नहीं होगा… यहां लोगों को उनका प्लान साफ नजर आ रहा है।”