MP Govt: मध्य प्रदेश में जब से मोहन यादव मुख्यमंत्री बने हैं, तब से वो राज्य का आकार बदलने की कोशिश में लगे हैं। इसको लेकर कई IAS अधिकारियों को तबादले से लेकर उनको नई जगह पर पोस्टिंग, कई वरिष्ठ मंत्रियों के साथ दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शामिल है। बता दें, अभी हाल ही में 15 आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर इस बात को बल देते हैं, जो इस बात को बताने के लिए काफी है कि मोहन यादव अपनी स्वाभाविक शैली से आगे बढ़कर राज्य को नए ताने-बाने में बुनने की कोशिश कर रहे हैं।

मोहन यादव के सीएम पद पर कार्यभार संभालने के दो महीने बाद यादव ने 15 आईएएस अधिकारियों में फेरबदल किया, जिनमें से पांच को सीएम सचिवालय में नियुक्त किया गया। यह घटनाक्रम सरकार द्वारा 18 आईएएस अधिकारियों के तबादले के एक सप्ताह बाद आया है।

2 फरवरी को जारी आदेश में 2008 बैच के अधिकारी भरत यादव को सीएम का सचिव बनाया गया और 2009 बैच के आईएएस अधिकारी और एमपी रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक अविनाश लवानिया को उनका अतिरिक्त सचिव बनाया गया। 2010 बैच के अधिकारी चन्द्रशेखर वालिम्बे को भी सीएम के एक अन्य अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नत किया गया। 2015 बैच की अधिकारी अदिति गर्ग और 2016 बैच के अधिकारी अंशुल गुप्ता को सीएम सचिवालय में उप सचिव बनाया गया है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “यह मोहन यादव हैं, जो खुद को मुखर कर रहे हैं और अपने लोगों को चुन रहे हैं। उन्होंने हाल ही में राघवेंद्र कुमार सिंह को अपना प्रमुख सचिव नियुक्त किया है और अब अपनी टीम बनानी शुरू कर दी है।

शिवराज ने 17 साल तक राज्य पर शासन किया है और वह प्रशासन के अंदर-बाहर जानते हैं। यादव उससे अलग होना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक नया प्रशासन मौजूद है, आवश्यक नियुक्तियां करने में समय लगा।

शनिवार को भोपाल में दो दिवसीय नेतृत्व शिखर सम्मेलन (Two Day Leadership Summit) का आयोजन किया गया, जहां मध्य प्रदेश में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत और लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा शासित सरकार के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की। इस दौरान शासन, स्ट्रेस मैनेजमेंट और सोशल मीडिया प्रबंधन पर गहन मंथन हुआ।

एक अधिकारी ने बताया, ‘शिखर सम्मेलन का उद्देश्य प्रशासन की बारीकियों, बजट, अंतरविभागीय समन्वय के लिए रणनीतियों और सुशासन के लिए सर्वोत्तम प्रैक्टिस को सीखना था। लेकिन यहां चर्चा का विषय यह है कि इसे राज्य स्तर पर आगे बढ़ाया गया था। यादव शिखर सम्मेलन आयोजित करने में रुचि रखते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नई टीम एकजुट होकर काम कर सके। शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ।यादव के लिए, यह एक महत्वपूर्ण कदम है, वह अपने नए मंत्रिमंडल को मजबूती प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों पर भरोसा कर रहे हैं।’

बता दें, शिखर सम्मेलन एक बंद कमरे में आयोजित कार्यक्रम था, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और नीति आयोग के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के बाद यादव ने कहा, ”राज्य की मंत्रिपरिषद के फैसले राज्य की पूरी आबादी को प्रभावित करते हैं। अतः मंत्रिपरिषद के सदस्यों का समय-समय पर ट्रेनिंग और बातचीत आवश्यक है। प्रशिक्षण से शासन की बारीकियां सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे प्रशासन में कसावट आएगी और इसका सीधा लाभ मंत्रिपरिषद के निर्णयों के माध्यम से राज्य की जनता तक पहुंचेगा।’

डॉ विक्रांत सिंह तोमर, जो कार्यक्रम में वक्ताओं में से एक थे। उन्होंने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘मैंने तनाव प्रबंधन और नेतृत्व पर एक सत्र लिया। मैंने सार्वजनिक जीवन में आने वाले स्ट्रेस के बारे में बात की। मैंने मंत्रियों से कहा कि वे अपना स्ट्रेस साझा करने के लिए किसी को सर्च, प्रेरणादायक किताबें पढ़ने, अच्छा महसूस करने के लिए सही सोच वाले लोगों की संगति में रहें और अंततः अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें।’

वहीं आज विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा शहरी आवास एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सत्र में भाग लेंगे। एक अधिकारी ने कहा, “विजयवर्गीय इंदौर मॉडल पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे उनका शहर भारत में सबसे स्वच्छ बन गया और उस अनुभव से क्या सीखा जा सकता है।”