बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती के उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री होने के दौरान उनके भाई-भाभी को एक रियल एस्टेट कंपनी लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने नोएडा में 261 फ्लैट आवंटित किए थे। जानकारी के मुताबिक, फ्लैट आवंटित करने की प्रक्रिया धोखाधाड़ी पूर्ण थी, जिसमें करोड़ों रुपये के घपले की बात सामने आई है। द इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में सामने आया है कि कंपनी ने मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी को 46 प्रतिशत के डिस्काउंट पर 261 फ्लैट आवंटित किए थे। आवंटन प्रक्रिया में भी तमाम गड़बड़ियां हैं।

मायावती के भाई-भाभी को मिले थे 261 फ्लैट

रियल एस्टेट डेवलपर लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड में दिवालियापन की कार्यवाही चल रही है। इस बीच मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता ने नोएडा में अपने ब्लॉसम ग्रीन्स प्रोजेक्ट में खरीदे गए 261 फ्लैटों के लिए 96.64 करोड़ रुपये की राशि का दावा किया है। द इंडियन एक्सप्रेस ने गुरुवार को रिपोर्ट किया था कि इस खरीद में कई अनियमितताएं थीं, जिसमें आनंद कुमार को आवंटित की गई 36 यूनिट्स पहले से ही अन्य पार्टियों के कब्जे में थीं।

होमबॉयर्स को नहीं दिख रही कोई उम्मीद

इन्हीं होमबॉयर्स में से एक हैं श्वेता गुप्ता। 43 साल की श्वेता का कहना कि उन्हें 2010 में यूनिट G-1601 आवंटित की गई थी। साल बीत गए, फिर भी परिवार को उसके 3BHK फ्लैट का पजेशन नहीं मिला। आज तक वह इंतजार ही कर रही हैं। श्वेता ने रोते हुए कहा, “मेरे पास पैसे नहीं बचे हैं, हमारी सारी बचत फ्लैट खरीदने में चली गई। हमने कर्ज लिया था, जिसे मैं अभी भी चुका रही हूं और मुझे अपने बच्चों की पढ़ाई का ख्याल रखना है।”

उन्होंने बताया कि अब तक हमने लगभग 43 लाख रुपये का भुगतान किया और वादा किया गया था कि हमें 2014 तक फ्लैट मिल जाएगा। फिर इसे 2018 तक बढ़ाया गया और फिर 2021 तक, अब मुझे नहीं पता कि मुझे कभी फ्लैट मिलेगा या नहीं।”

कई लोगों के नाम पर है एक यूनिट

इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल द्वारा ऑर्डर की गई और द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा समीक्षा की गई ट्रांजैक्शन ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, “यूनिट G-1601 को आनंद कुमार के नाम पर 04.04.2016 को 19.57 लाख रुपये में आवंटित किया गया था। टैली रिकॉर्ड के अनुसार उसी तारीख को G-1601 श्वेता गुप्ता के नाम पर था और इसी अवधि में यूनिट जी-1601 कई और पार्टियों के नाम पर थी। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट, 2016 की धारा 66 के तहत लेनदेन को धोखाधड़ी माना जाता है।

इस बारे में पूछे जाने पर श्वेता ने कहा, ‘पहले हमारे पास टावर G में एक फ्लैट था लेकिन बिल्डर ने हमें H ब्लॉक में एक नई यूनिट आवंटित की और कहा कि यह जल्द ही बनाया जाएगा और हमें सौंप दिया जाएगा। पर वह झूठ था। दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहने वाले बिजनेसमैन योगेंद्र सिंह याद करते हैं कि कंपनी के प्रमोटरों ने उनसे संपर्क किया और उनके आश्वासन के आधार पर एक फ्लैट खरीदा।

अब तक नहीं मिला है बायर्स को फ्लैट का पजेशन

सिंह ने कहा, “मैं उनके ऑफिस में मैनेजमेंट से मिला और कंपनी की भविष्य की योजनाओं और परियोजना के बारे में जाना। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि बाजार में उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है और उन्होंने नोएडा में कई परियोजनाओं को पूरा किया है।” योगेंद्र सिंह ने कहा, “इन दावों के आधार पर, मैंने 3HK खरीदा, आठ किस्तों में लगभग 47 लाख रुपये का भुगतान किया। कंपनी ने टावरों के एक ढांचे का निर्माण किया और खरीदारों से लगभग 85% राशि एकत्र की। उन्होंने 18 महीने में पजेशन देने का वादा किया था लेकिन यह अभी भी अधूरा है।”

मार्च 2022 में दर्ज हुई FIR

उन्होंने कहा, “लॉजिक्स ने बहाना बनाया कि उनके पास परियोजना को पूरा करने के लिए पैसे नहीं थे लेकिन अधिकांश खरीदारों ने पहले ही 80-90 प्रतिशत का भुगतान कर दिया था।” योगेंद्र सिंह परियोजना के 65 घर खरीदारों में से एक हैं जिन्होंने कंपनी के खिलाफ दिल्ली में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर कार्रवाई करते हुए, दिल्ली पुलिस ने मार्च 2022 में आईपीसी की धारा 406, 420 और 120 B के तहत प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज की।

FIR में पूर्व निदेशक शक्ति नाथ, विक्रम नाथ और रोशनी नाथ और वर्तमान निदेशकों देवेंद्र मोहन सक्सेना और मुकेश मोहन श्रीवास्तव सहित नौ आरोपियों की सूची है। जब द इंडियन एक्सप्रेस ईओडब्ल्यू के अधिकारियों से मामले पर अपडेट मांगने पहुंचा, तो उन्होंने कहा कि जांच जारी है।

UP RERA ने सरकार को भेजे उपाय

खरीदारों द्वारा उठाई गई शिकायतों के जवाब में UP RERA के अध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ” ऐसे कई कारण हैं कि ऐसी परियोजनाएं रुक जाती हैं या अव्यवहार्य हो जाती हैं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि बाजार ऊपर जा रहा है और कीमतें ऊंची हो रही हैं।” उन्होंने कहा, “रेरा ने ऐसी परियोजनाओं के लिए सरकार को कुछ उपायों की सिफारिश की है। राज्य सरकार रुकी हुई और अव्यवहारिक परियोजनाओं को किकस्टार्ट करने की नीति पर काम कर रही है। यूपी रेरा ने एक अध्ययन किया है और सिफारिशें की हैं ताकि खरीदारों के मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।”

(Story by Dheeraj Mishra)