ओमप्रकाश ठाकुर

लगातार दूसरी बार सता में काबिज होने और तीन उपचुनावों के नाम पर हिमाचल प्रदेश में15 दिनों में भाजपा के राष्ट्रीय नेता दो बार मंथन कर चुके हंै लेकिन चुनाव किस तरह व किस का चेहरा आगे कर के जीता जाएगा इस बाबत फैसला नहीं हो पाया है। पहले 15 से 17 जून तक राजधानी शिमला में भाजपा की कोर समिति की बैठक हुई। इसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह ने भी शिरकत की।

अमूमन इस तरह की बैठकों में प्रदेश में राष्ट्रीय पदाधिकारी कम ही आते हैं। लेकिन प्रदेश प्रभारी खन्ना का झुकाव पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की ओर ज्यादा था ऐसे में संतुलन बनाने के लिए संभवत सौदान सिंह को भी बुलाया गया हो। वजह जो भी हो, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने सार्वजनिक तौर अपने पत्ते नहीं खोले और न ही उस रणनीति का खुलासा किया जिसके तहत पार्टी चुनाव जीतना चाहती है।

इस कोर समिति की बैठक के महज दस दिन बाद धर्मशाला में कार्यकारी समूह की बैठक बुला ली गई। लेकिन भाजपा में इस नाम की कोई चीज होती ही नहीं। लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की ओर से कहा गया कि यह वर्किंग ग्रुप की बैठक है। इस बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह तो आए ही उनके अलावा राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष भी धर्मशााला पहुंच गए। दिलचस्प तौर पर इन बैठकों से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश से राज्यसभा सांसद जगत प्रकाश नड्डा दूर ही रहे। हिमाचल उनका गृह राज्य है लेकिन जिस तरह का घमासान पार्टी के भीतर चल रहा है उससे वे भी हैरान है।

सरकार व संगठन में अब दो ध्रुव हो गए है। एक तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर है जबकि दूसरी ओर उनके समानांतर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को खड़ा कर दिया गया है। इसके अलावा संगठन भी जयराम व धूमल खेमे में बंट गया है। पार्टी में अंदरखाने यह साफ हो गया है कि आगामी उप चुनाव हों या 2022 के विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बूते जीत पाना आसान नहीं है।

हालांकि धूमल को आगे कर जीत निश्चित ही होगी यह भी कहा नहीं जा सकता। अगर तमाम नेता एकजुट हो जाएं तो संभव है कि पार्टी को कुछ लाभ मिल सके। एकजुट होकर काम करना होगा। ऐसे में लंबे अरसे तक हाशिए पर रखे गए धूमल को जयराम से भी बड़ा नेता बताने की कोशिशें इन बैठकों में की गई। यह अपने आप में आश्चर्यजनक था। इस दौरान धूमल को ही मुख्यमंत्री बनाने की अटकलें भी लग गर्इं और आलाकमान की ओर से इन अटकलों पर किसी ने विराम तक नहीं लगाया। भाजपा का एक खेमा अभी भी यह मान कर चल रहा है कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।

गौरतलब यह है कि हिमाचल में दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि जिला शिमला में जुब्बल कोटखाई और कांगड़ा में फतेहपुर विधानसभा और मंडी संसदीय हलके के उपचुनाव 12 अगस्त तक कराए जाने हैं। उधर, भाजपा में तो अंदरखाने घमासान चल रहा है लेकिन कांग्रेस केवल और केवल उपचुनावों पर फोकस कर रही है। कांग्रेस के सह प्रभारी संजय दत खुद तमाम हलकों का दौरा करने में जुट गए हंैं।