असम और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर में सोमवार को भारी मतदान हुआ। असम में 82.21 और पश्चिम बंगाल में 79.51 फीसद मतदान दर्ज किया गया हालांकि इस दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाओं और पुलिस फायरिंग में एक बुजुर्ग मतदाता की मौत हो गई। असम में दूसरे और अंतिम दौर में 61 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ। इस दौरान बरपेटा जिले में सोरभोग क्षेत्र में एक मतदान केंद्र पर लाइन लगाने को लेकर सीआरपीएफ के जवानों और मतदाताओं के बीच हुई धक्कामुक्की में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग मतदाता की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि घटना में सीआरपीएफ का एक सहायक कमांडेंट और एक कांस्टेबल को भी चोटें आई हैं।
मतदान शुरू होने के बाद विभिन्न मतदान केंद्रों पर वोट डालने को उत्सुक मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं। वोट डालने वाले प्रमुख लोगों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल हैं, जिन्होंने दिसपुर सरकारी हाई स्कूल में बने मतदान केंद्र में वोट डाला। राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व करने वाले मनमोहन सिंह का निवास गुवाहाटी में दर्ज है और वहां की मतदाता सूची में उनका नाम है। वह वोट डालने के लिए दिल्ली से विशेष रूप से यहां आए।
चुनाव अधिकारी ने बताया कि कुछ मतदान केंद्रों से ईवीएम में खराबी की खबरें मिली थीं, जिन्हें तत्काल बदल दिया गया। दूसरे दौर के मतदान में जिन लोगों का चुनावी भाग्य मतदान मशीनों में बंद हो गया उनमें राज्य के केबिनेट मंत्री रकीबुल हसन, चंदन सरकार और नजरूल इस्लाम कांग्रेस से, असम गण परिषद के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सिद्धार्थ भट्टाचार्य शामिल हैं। कुल 525 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
कांग्रेस मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की रहनुमाई में राज्य में चौथी बार सरकार बनाने की उम्मीद लगाए है। पार्टी ने कुल 57 उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा के 35 और उसके सहयोगी अगप के 19 और बीपीएफ के 10, एआइयूडीएफ के 47, माकपा के नौ और भाकपा के 5 उम्मीदवारों का चुनावी मुस्तकबिल दांव पर है।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के पहले चरण के दूसरे हिस्से में सोमवार को हिंसा, चुनाव एजंट के अपहरण और धांधली के छिटपुट आरोपों के बीच पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा और बर्दवान जिले की 31 सीटों पर भारी मतदान हुआ। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि इन सीटों पर 75 फीसद से ज्यादा वोट पड़े। भारी गर्मी और तेज धूप के बावजूद सुबह से ही विभिन्न मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें लगने लगी थीं। दोपहर एक बजे तक ही मतदान का आंकड़ा 60 फीसद पार कर चुका था।
बांकुड़ा व पश्चिम मेदिनीपुर जिले के दो मतदान केंद्रों पर भी सोमवार को दोबारा मतदान हुआ। यहां चार अप्रैल को मतदान हुआ था। लेकिन कई शिकायतों के बाद आयोग ने वहां दोबारा मतदान कराने का आदेश दिया था। माकपा और कांग्रेस की ओर से तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ खासकर वोटरों को धमकाने के मामले में चुनाव आयोग को लगभग 1150 शिकायतें मिली हैं।
नारायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में माकपा उम्मीदवार और विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र के खिलाफ भी नारेबाजी हुई और प्रदर्शन किए गए। इनमें से ज्यादातर लोग तृणमूल समर्थक थे। उन लोगों ने मिश्र पर बीते पांच साल के दौरान विधानसभा क्षेत्र का दौरा नहीं करने का आरोप लगाया। मिश्र ने कहा कि इन घटनाओं से साफ है कि तृणमूल को अपनी हार का डर सताने लगा है।
बर्दवान और बांकुड़ा जिले से विपक्षी उम्मीदवारों व पोलिंग एजंटों के साथ मारपीट के कई आरोप सामने आए हैं। कांग्रेस और माकपा ने चुनाव आयोग से भी इसकी शिकायत की है। बर्दवान जिले के जामुड़िया में एक मतदान केंद्र के बाहर बमों से भरे दो थैले बरामद किए गए। इसी इलाके में माकपा व तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प में पांच माकपा समर्थकों समेत कम से कम सात लोग घायल हो गए। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटाल में भी इन दोनों दलों के समर्थकों के बीच झड़प की खबरें मिली हैं।
इसी जिले के पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में मतदान अधिकारी परिमल बारुई का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाने की वजह से वहां कुछ देर मतदान ठप रहा। इसके अलावा बांकुड़ा जिले में सात इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के गड़बड़ होने की वजह से भी मतदान में बाधा पहुंची।
तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र पर माकपा के एक एजंट के साथ मारपीट की और भीतर जाने से रोक दिया। इस हमले में वह घायल हो गया है। हालांकि तृणमूल ने इन आरोपों का खंडन किया है। कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली होने और बांकुड़ा जिले की विष्णुपुर सीट पर पार्टी के उम्मीदवार तुषार भट््टाचार्य के साथ मारपीट की शिकायत की है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अपनी भूमिका का पालन करने में नाकाम रहा है। उन्होंने कहा कि बार-बार हमले और धांधली की शिकायतों के बावजूद आयोग ने चुप्पी साधे रखी