हाथरस गैंगरेप मामले में एससी-एसटी कोर्ट ने गुरुवार (2 मार्च) को फैसला सुनाते हुए चार में से तीन आरोपियों को बरी कर दिया है जबकि एक आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है। सितंबर 2020 में हाथरस में हुई इस घटना के बाद से नौ लोगों का परिवार भारी सुरक्षा घेरे में रह रहा है। उनकी सुरक्षा में सीआरपीएफ के 30 जवान तैनात रहते हैं। पीड़िता के घर के बाहर मेटल डिटेक्टर और सीसीटीवी भी है।

सुरक्षा घेरे में रह रहा है पीड़िता का परिवार

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पीड़िता के भाई ने कहा, “हम चाहते थे कि यह सब खत्म हो जाए। हमें उम्मीद थी कि मामले में सामने आए सबूतों से सभी आरोपियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी। हम यह सब अपने पीछे छोड़कर गांव छोड़ना चाहते थे। हम अभी नहीं जा सकते हैं और इसी सुरक्षा में बने रहेंगे। यह हमें सुरक्षित महसूस कराता है, लेकिन इससे दम भी घुटता है। यह जेल जैसा है।”

डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद ही मिलती है किसी को घर में एंट्री

परिवार ने दावा किया कि उनके पास आने वाले एक रिश्तेदार को छोड़कर, वो किसी भी मेहमान को लाने में असमर्थ हैं। घर में प्रवेश करने के लिए, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों से पहले अनुमति लेनी होती है और दस्तावेज सत्यापन के बाद ही किसी को घर में प्रवेश करने दिया जाता है। उन्होंने कहा कि परिवार में तीन लड़कियां 2020 से स्कूल नहीं गई हैं। लड़कियों में से एक के पिता ने कहा कि मेरी बेटी बाहर जाकर खेलने भी नहीं सकती है।”

पीड़िता की भाभी ने कहा कि सब्जी खरीदना भी चिंता से भरा काम है। हमें सब्जियां खरीदने के लिए सुरक्षा घेरा बनाकर जाना पड़ता है। आरोपी व्यक्तियों के परिवार के कुछ सदस्य खुले तौर पर हमें धमकी देते हैं। परिवार के पुरुषों ने कहा, “उनके घर के आसपास कड़ी सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक बहिष्कार के कारण उन्हें कोई काम नहीं मिल पा रहा है। हम मुआवजे में मिले 25 लाख रुपये से सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थ खरीदते हैं। और उस पर जीवनयापन कर रहे हैं।”

पीड़ित परिवार के सदस्यों को नहीं मिली नौकरी

परिवार की वकील सीमा कुशवाहा का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक परिवार के पुरुष सदस्यों को सरकारी नौकरी नहीं दी है। उन्होंने कहा, “उन्हें नौकरी देने के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पीड़ित परिवार के सदस्यों को नौकरी नहीं दी गई है।”

हाथरस गैंगरेप मामला

14 सितंबर 2020 को हाथरस के एक गांव में 19 साल की दलित युवती के साथ रेप की वारदात हुई थी। 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरगंज में युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। खेत में खून से लथपथ पड़ी लड़की के परिवार उसे अलीगढ़ के एक अस्पताल में ले गया था, जिसके बाद उसे दिल्ली ले जाया गया, जहां बाद में सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। पीड़िता के शव को देर शाम एक एम्बुलेंस में उसके गांव ले जाया गया था और यूपी पुलिसकर्मियों, अधिकारियों ने शाम को ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।