हाथरस रेप कांड को लेकर जिले के डीएम के ऊपर सवाल उठाते हुए उत्तरप्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। बता दें कि हाथरस रेप कांड में कार्रवाई करते हुए उत्तरप्रदेश सरकार ने घटना थानाक्षेत्र के पुलिस अधिकारियों और एसपी को सस्पेंड कर दिया था। जिस पर आईपीएस एसोसिएशन ने भी आपत्ति जताई है। सवाल यह उठ रहा है कि डीएम पर क्यों कार्यवाही नहीं कि गई?

हाल ही में एक टीवी डिबेट में एंकर ने यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से सवाल किया कि रेप बड़ा होता है या छोटा होता है , यह वहां की सरकार तय करती है। तो आईपीएस एसोसिएशन की जो नाराज़गी है वो कहाँ तक जायज़ है और डीएम पर कार्यवाही होनी चाहिए या नहीं? सवाल का जवाब देते हुए पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह उत्तरप्रदेश प्रशासन पर बरस पड़े। उन्होंने कहा कि ” डीएम हमेशा जिले के आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है और इसीलिए वो थानेदार और दूसरे पुलिसकर्मियों को आदेश भी देता है और मीटिंग भी लेता है। लखनऊ में बैठे आलाकमान के लोग डीएम से जुड़े होते है। जैसे कुलदीप सिंह सेंगर के केस में हुआ कि ऊपर से आदेश आता था और कार्यवाही में देरी की जाती थी और पुलिस प्रशासन को भी डीएम की बात माननी पड़ती थी।”

विक्रम सिंह ने कहा कि “अगर कार्रवाई की गई है तो उसकी शुरुआत डीएम से होनी चाहिए ,ना कि आप थानाध्यक्ष और दूसरे पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही करें। आपने यह दिखा दिया है कि आप न्याय करने में सक्षम नहीं है और यही आपकी सच छुपाने की आदत आपकी विश्वसनीयता पर और आपकी छवि पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। मैं यह खुल कर कहता हूँ कि डीएम को बचाने के लिए लखनऊ में बैठे जिन भी लोगों ने यह निर्णय लिया है उन्होंने अपनी विश्वसनीयता को तार तार कर दिया है। डीएम को तो सस्पेंड होना ही चाहिए।”

गौरतलब है कि सितंबर 14 के दिन उत्तरप्रदेश के हाथरस में एक दलित युवती का गैंगरेप हुआ था और घटना के 10 दिन बाद ही युवती की दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गई थी। युवती के शव का अंतिम संस्कार यूपी पुलिस ने पीड़ित परिवार को बिना बताए रात के अंधेरे में कर दिया था जिसके बाद सियासत गरमा गई है। योगी सरकार आलोचकों के निशाने पर आ गई है। जिसके बाद योगी सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कही है।