हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित उस खबर का स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया कि एक स्कूल की पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा को उसका होमवर्क पूरा न करने के कारण कथित रूप से ‘अपमानजनक सजा’ दी गई थी।

आयोग ने अखबार में 14 सितंबर को जारी खबर का स्वत: संज्ञान लिया है। यह घटना सोनीपत जिले के एक गांव की नाबालिग के साथ हुई थी। आयोग ने कहा कि यह घटना ‘बहुत परेशान करने वाली’ है। खबर के अनुसार, बच्ची को सजा में 50 बार उठक-बैठक कराई गईं, कक्षा का फर्श और यूकेजी कक्षा के बाहर की जगह को साफ कराया गया और उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए यूकेजी छात्रों से उसे ‘शेम शेम’ चिल्लवाया गया।

यह भी आरोप है कि स्कूल के प्रधानाचार्य ने भविष्य में होमवर्क पूरा न करने पर लड़की के बाल मुंडवाने तक की भी धमकी दी थी। इन कृत्यों से बच्ची को गंभीर मानसिक आघात पहुंचा, जिससे वह स्कूल नहीं जा सकी और उसे मनोवैज्ञानिक उपचार की जरूरत हुई। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य (न्यायिक) कुलदीप जैन और सदस्य दीप भाटिया की पीठ ने 17 सितंबर के अपने आदेश में कहा कि प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित, सम्मानजनक वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है।

आयोग ने शिक्षा अधिकारी को विस्तृत रपट प्रस्तुत करने का दिया निर्देश

हरियाणा राज्य के आदर्श वाक्य ‘बचपन बचाओ, शिक्षा अपनाओ’ के अनुरूप, प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान का कर्तव्य है कि वह बच्चों को सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक शोषण से बचाए। आयोग के आदेश के अनुसार, यदि ये आरोप सिद्ध होते हैं तो इस प्रकार की कार्रवाई संविधान के तहत सुनिश्चित मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन मानी जाएगी, जिसमें अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) शामिल है, जो सम्मान और अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार से सुरक्षा की गारंटी देता है।

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आयोग के प्रोटोकाल, सूचना और जनसंपर्क अधिकारी पुनीत अरोड़ा ने कहा कि न्यायमूर्ति ललित बत्रा की अध्यक्षता में पूर्ण आयोग ने इस मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच का निर्देश दिया है। जांच में शिकायतकर्ता, स्कूल के प्रधानाचार्य, शिक्षकों, अन्य संबंधित गवाहों और छात्रा का इलाज कर रहे मनोवैज्ञानिक के बयान दर्ज किए जाएंगे। सोनीपत के जिला शिक्षा अधिकारी को भी एक विस्तृत रपट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने लिया स्वत: संज्ञान

खबर के अनुसार, बच्ची को सजा के तौर पर 50 बार उठक-बैठक कराई गईं, कक्षा का फर्श और यूकेजी कक्षा के बाहर की जगह को साफ कराया गया। उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए यूकेजी छात्रों से उसे ‘शेम शेम’ चिल्लवाया गया। उधर आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य (न्यायिक) कुलदीप जैन और सदस्य दीप भाटिया की पीठ ने 17 सितंबर के अपने आदेश में कहा कि प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित, सम्मानजनक वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है।