करोड़ो रुपये की चोरी के मामले में आखिरकार हरियाणा सरकार ने आईपीएस धीरज सेतिया को सस्पेंड कर दिया। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी।
करोड़ों रुपये की चोरी के मामले में आईपीएस अधिकारी धीरज सेतिया के खिलाफ आरोपों की जांच नहीं करने के लिए गुरुग्राम की एक अदालत द्वारा जांचकर्ताओं की खिंचाई करने के कुछ दिनों बाद हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अधिकारी को निलंबित कर दिया। हरियाणा के अधिकारियों ने प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग से भी मामले की जांच करने को कहा है।
इस संबंध में शुक्रवार को एक आदेश भी जारी किया गया है। इससे पहले, हरियाणा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के समक्ष किए गए चोरी के एक आरोपी के खुलासे के बयान का जिक्र करते हुए, गुरुग्राम की एक अदालत ने कहा था कि बयान से यह स्पष्ट होता है कि मामले को शांत करने के लिए आरोपी ने तत्कालीन गुड़गांव डीसीपी धीरज सेतिया को अवैध रूप से रिश्वत दी थी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से जब आईपीएस अधिकारी के खिलाफ आरोपों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने शुक्रवार को कहा- “हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे, वह किसी भी स्तर का अधिकारी हो या कोई और जो दोषी पाया जाता है। डीसीपी की संलिप्तता पाई गई है। जांच चल रही है। कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 6-7 करोड़ रुपए भी बरामद किए गए हैं।
मामला अगस्त में हुए गुरुग्राम के सेक्टर 82 में एक कंपनी से करोड़ों रुपये की चोरी का है। इस मामले में गुरुग्राम के दो डॉक्टर और दिल्ली पुलिस के एएसआई विकास गुलिया को पहले गिरफ्तार किया गया था। पुलिस को शक है कि गैंगस्टर विकास लगारपुरिया ने चोरी की साजिश रची थी। चोरी की सूचना 21 अगस्त को तब मिली, जब शिकायतकर्ता बैंक में जमा करने के लिए नकदी लेने गया, तब देखा कि 50 लाख रुपये गायब हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा- “मामला आईटी विभाग को भेजा गया है क्योंकि शुरू में केवल 50 लाख रुपये की चोरी की सूचना मिली थी, जबकि कई करोड़ पहले ही वसूल किए जा चुके हैं। जांच के दौरान एक आरोपी ने 30-40 करोड़ रुपये ‘काले धन’ की चोरी की ओर इशारा किया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि 2.5 करोड़ रुपये मूल्य का एक बैग जिसमें सोना, यूएस और भारतीय मुद्रा था, एक अधिकारी को मामले को दबाने के लिए भेजा गया था। आईटी विभाग कथित काले धन से संबंधित एंगल की जांच करेगी, जबकि ईडी अमेरिकी मुद्रा के पहलू की जांच करेगी।