विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन की जांच अब सीबीआइ नहीं करेगी, बल्कि अब यह जांच राज्य सरकार द्वारा गठित एसआइटी करेगी। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को रावत के स्टिंग ऑपरेशन के मामले में सीबीआइ से जांच कराने के फैसले को वापस लेने की चिट्ठी भेजी है। रविवार (15 मई) दोपहर बाद देहरादून स्थित सचिवालय में हरीश रावत मंत्रिमंडल की आकस्मिक बैठक की अध्यक्षता सबसे वरिष्ठ मंत्री डा. इंदिरा ह्रदयेश ने की। इस बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत मौजूद नहीं थे। मंत्रिमंडल की बैठक के वक्त हरीश रावत केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के लिए गए हुए हैं। उत्तराखंड राज्य के 16 सालों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता किसी कैबिनेट मंत्री ने की।
मंत्रिमंडल की आकस्मिक बैठक में राष्ट्रपति शासन के दौरान रावत के स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआइ से कराने के फैसले को वापस ले लिया गया है। दलील यह दी गई है कि कानून व व्यवस्था का मामला राज्य सरकार के कार्यक्षेत्र में आता है। राज्य सरकार ने स्टिंग आपरेशन की जांच के लिए राज्य के मुख्य सचिव को जल्दी से जल्दी विशेष जांच दल गठित करने के निर्देश दिए हैं। कैबिनेट की बैठक के बाद उत्तराखंड के गृह विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत पंवार की ओर से केंद्र सरकार को स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआइ से वापस लेने के बाबत पत्र फटाफट तैयार कर भेजा गया। राज्य सरकार कोई भी ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहती है, जिससे सीबीआइ जांच के बहाने केंद्र सरकार हरीश रावत को किसी भी लपेटे में ले।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कैबिनेट मंत्री इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि किसी भी मामले की जांच कराना राज्य सरकार के दायरे में आता है। इसलिए मंत्रिमंडल की बैठक में यह स्पष्ट रूप से फैसला लिया गया कि स्टिंग ऑॅपरेशन की जांच सीबीआइ की बजाए राज्य के शासन द्वारा गठित एसआईटी करेगी। इसके लिए मुख्य सचिव को मंत्रिमंडल ने स्पष्ट आदेश दे दिए हैं। सीबीआइ ने अभी जांच का काम शुरू भी नहीं किया था। बैठक में उत्तराखंड लोकसभा आयोग के प्रतिवेदन पर भी विचार किया गया, कार्मिक विभाग और न्याय विभाग के ढांचे की समीक्षा की गई।
उधर विपक्ष ने कैबिनेट के इस फैसले को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि यह सब हरीश रावत को बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एसआइटी से जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि हरीश रावत के कुकृत्यों पर पर्दा डालने के लिए यह फैसला लिया गया है। जब रावत को किसी बात का डर नहीं था तो वे सीबीआइ की जांच से क्यों डर रहे हैं। रावत सरकार का सीबीआइ से जांच वापस कराने का फैसला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में अनाधिकृत चेष्ठा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि वह पुलिस अपने मुखिया के खिलाफ निष्पक्ष जांच कैसे करेगी जिसका मुखिया खुद ही स्टिंग ऑपरेशन में संलिप्त हो। हरीश रावत ने अपने को बचाने के लिए यह अनैतिक काम किया है। भाजपा स्टिंग ऑपरेशन के मामले को लेकर अब पूरे प्रदेश में रावत सरकार के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन छेड़ेगी। हालांकि प्रदेश कांग्रेस ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया है।
मालूम हो कि 26 मार्च को देहरादून के एक खबरिया चैनल ने हरीश रावत का विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर स्टिंग आपरेशन प्रसारित किया था। इससे राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया था। सूत्रों के मुताबिक इस स्टिंग आॅपरेशन को आधार बना कर केंद्र सरकार ने राज्य में रावत सरकार को बर्खास्त कर राष्टÑपति शासन लगा दिया था। उत्तराखंड सरकार ने 2 अप्रैल को राष्टÑपति शासन के दौरान केंद्र से स्टिंग आपरेशन की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की थी। इसके आधार पर सीबीआइ ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी थी और हरीश रावत को 9 मई को सीबीआइ ने दिल्ली स्थित मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया था। परंतु हरीश रावत 10 मई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के बहाने सीबीआइ मुख्यालय नहीं गए थे। उन्होंने सीबीआइ मुख्यालय को चिट्ठी भेजकर पूछताछ के लिए कोई अन्य तारीख देने की मांग की थी। रावत ने कहा था कि वे सीबीआइ को इस मामले में पूरा सहयोग करेंगे। परंतु राज्य सरकार ने एकाएक कैबिनेट की आकस्मिक बैठक कर राष्टÑपति शासन के दौरान स्टिंग आपरेशन की जांच सीबीआइ से कराने के फैसले को पलट दिया।
* डॉ. इंदिरा ह्रदयेश की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आकस्मिक बैठक हुई, इसमें राष्ट्रपति शासन के दौरान रावत के स्टिंग आपरेशन की जांच सीबीआइ से कराने के फैसले को वापस ले लिया गया
* उत्तराखंड के 16 सालों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता किसी कैबिनेट मंत्री ने की। मुख्यमंत्री हरीश रावत केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के लिए गए हुए हैं
* कैबिनेट की बैठक के बाद उत्तराखंड के गृह विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत पंवार की ओर से केंद्र सरकार को स्टिंग आॅपरेशन की जांच सीबीआइ से वापस लेने के बाबत पत्र फटाफट तैयार कर भेजा गया
* राज्य सरकार ने स्टिंग ऑपरेशन की जांच के लिए राज्य के मुख्य सचिव को जल्दी से जल्दी विशेष जांच दल गठित करने के निर्देश दिए हैं, दलील यह दी कि कानून व व्यवस्था का मामला राज्य के कार्यक्षेत्र में आता है