सोमवार को जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकवादियों ने संयुक्त बल के चेकपोस्ट को निशाना बनाया। इस गोलीबारी में एक किशोर की मौत हो गई थी। अब पुलिस ने किशोर के शव को उसके परिवार को देने से इंकार कर दिया है। हालांकि, यह पहली बार है जब पुलिस ने किसी नागरिक के शव को परिवार को देने से इंकार किया है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि महामारी के बीच अंतिम संस्कार की भीड़ से बचा जा सके।
शारीरिक रूप से विकलांग 14 वर्षीय हाजिम शफी भट के शव को उनके घर से 40 किमी दूर अज्ञात आतंकवादियों के लिए आरक्षित कब्रिस्तान में दफन कर दिया। हाजीम के चाचा मोहम्मद शफी भट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे हमें शव सौंप दें, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अगर हम उसकी कब्र पर प्रार्थना करना चाहते हैं, तो हमें दूसरे जिले जाना होगा।”
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कुपवाड़ा डीसी अंशुल गर्ग ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कोरोना संकट के बीच अंतिम संस्कार में भीड़ से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया था। उन्होंने आगे कहा “हमने परिवार के सदस्यों को बारामुला जिले में अंतिम संस्कार में शामिल होने में मदद की।” हाजी को सीमावर्ती शहर उरी के शीरी में दफनाया गया था। वहां स्थित कब्रिस्तान अज्ञात उग्रवादियों के लिए आरक्षित है, जो आमतौर पर पाकिस्तान से हैं। यह पहली बार है जब किसी नागरिक को यहां दफनाया गया है। मोहम्मद ने कहा कि सरकारी अधिकारी मंगलवार तड़के उनके घर पहुंचे और परिवार से कहा कि वह शीरी की यात्रा करें क्योंकि हाजीम को वहीं दफनाया जाएगा।
मोहम्मद ने कहा “हमें कोई विकल्प नहीं दिया गया। उनकी मां सहित कई परिवार के सदस्यों को अंतिम बार अपना चेहरा देखने के लिए शीरी की यात्रा करनी पड़ी।” उन्होंने ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि परिवार कोशव नहीं देने का आदेश ऊपर से आया था। अंतिम संस्कार में परिवार के लगभग 20 लोग शामिल हुए। हाज़िम सोमवार शाम को “गोलीबारी” में मारा गया जब आतंकवादियों ने बारामूला-हंदवाड़ा मार्ग पर चौकी को निशाना बनाया था। इस हमले में तीन अर्धसैनिक बल के जवान भी मारे गए थे। शुरुआत में यह बताया गया कि गोलीबारी में एक आतंकवादी मारा गया, लेकिन बाद में वह हाजीम निकला।
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