कांग्रेस पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रही है और अब गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक और संकट सामने आ गया है। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने इशारों-इशारों में पार्टी छोड़ने तक की धमकी दे दी है। हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वो कोई अन्य पार्टी ज्वाइन नहीं करने जा रहे हैं। हार्दिक पटेल ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि गुजरात कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि वह पार्टी में रहे और उन्होंने अपनी सारी बात राहुल गांधी को बता दी है लेकिन उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
अब सभी की निगाहें 28 अप्रैल पर टिकी हैं जब हार्दिक अपने पिता की पहली पुण्यतिथि मनाने के लिए ‘राम धुन’ कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे, जिनकी पिछले साल कोविड -19 से मृत्यु हो गई थी। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राज्य भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल, राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई बड़े नेता आमंत्रित किए गए हैं।
क्या है हार्दिक की नाराजगी की वजह: हार्दिक पटेल कई बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है और उनकी कोई नाराजगी नहीं है। लेकिन गुजरात कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि वो पार्टी में रहें। द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया था कि उनकी नियुक्ति के तीन साल बाद भी राज्य कांग्रेस नेतृत्व उन्हें एक नेता के रूप में स्वीकार नहीं करता है या उन्हें निर्णय लेने में शामिल नहीं करता है। कांग्रेस ने गुजरात इकाई के लिए 75 महासचिव और 25 उपाध्यक्ष नियुक्त किए जो उनके शामिल होने के बाद पार्टी में पहला बड़ा बदलाव था। लेकिन इन नियुक्तियों के बारे में उनसे राय नहीं ली गई थी।
हार्दिक के लोगों को टिकट नहीं: हार्दिक पटेल ने पिछले साल के साक्षात्कार में द इंडियन एक्सप्रेस को यह भी बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान टिकट वितरण के लिए उनकी सिफारिशों पर पार्टी ने विचार नहीं किया। वहीं कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि हार्दिक बहुत मांग करते हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि, ”आप अपने आदमी को नियुक्त करने के लिए कह सकते हैं। लेकिन आप ऐसा नहीं कह सकते हैं कि इस आदमी को इसलिए नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।”
कांग्रेस से नहीं मिल रहा सहयोग: इस साल फरवरी में हार्दिक ने घोषणा की कि, अगर 2015 के आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए पाटीदारों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए गए, तो वो 23 मार्च से आंदोलन पर बैठेंगे। हार्दिक द्वारा निर्धारित तिथि से पहले गुजरात सरकार ने घोषणा की कि उसने हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत मामलों को छोड़कर 10 मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जहां भाजपा सरकार ने ध्यान दिया वहीं हार्दिक के आंदोलन के आह्वान को उनकी पार्टी की ओर से कोई समर्थन नहीं मिला।