भाजपा नेता दिलीप संघानी के न्यास ने गुजरात में अपने शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने को इच्छुक विद्यार्थियों के लिए आवेदन पत्र में ‘भारत माता की जय’ लिखना अनिवार्य बना दिया है जिससे इस नारे पर विवाद बढ़ गया है। न्यास के अनुसार जो विद्यार्थी ऐसा नहीं करेंगे, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। अमरेली स्थित श्री पटेल विद्यार्थी आश्रम न्यास के इस निर्देश की कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की है जिसने कहा कि यह भाजपा की मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की है जबकि वरिष्ठ वकील गिरीश पटेल ने कहा कि यह शिक्षा के अधिकार समेत कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह न्यास क्षेत्र में दो हाईस्कूल, एक प्राथमिक स्कूल और एक कॉलेज चलाता है जहां 1500 से अधिक बच्चों को दाखिला मिलता है। न्यास की स्थापना करीब एक सदी पहले संघानी के पूर्वजों ने की थी।
इस फैसले को सही ठहराते हुए संघानी ने कहा, ‘‘खासकर दिल्ली में जेएनयू परिसर में कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगाये जाने के बाद विद्यार्थियों के बीच राष्ट्रभक्ति की भावना को पुनर्जागृत करने का समय आ गया है। भारत माता की जय नारे का विरोध करना देश का विरोध करने जैसा है। हमें बच्चों में राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को स्थापित करना है।’’ अमरेली के पूर्व विधायक ने कहा, ‘‘हमने तय किया है कि दाखिला केवल उन्हें ही दिया जाएगा जो प्रवेश प्रपत्र पर यह नारा लिखेंगे। जो प्रवेश चाहते हैं उन्हें देश के प्रति अपनी कटिबद्धता दिखानी ही होगी।’’
गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा कि यह मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की भाजपा की कोशिश है। दोषी ने कहा, ‘‘भाजपा और आरएसएस ने स्वतंत्रता संघर्ष में कभी हिस्सा नहीं लिया। फिर भी वे दूसरों को राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय रणनीति के तहत भाजपा नेता अपनी विफलताओं को ढंकने के लिए यह मुद्दा उठा रहे हैं। राष्ट्रभक्ति निश्चित तौर पर वह नहीं है जिसका भाजपा पाठ पढ़ा रही है।’’
उधर गिरीश पटेल ने कहा, ‘‘शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है और सभी विद्यालयों को शिक्षा के अधिकार कानून के प्रावधानों का पालन करना है। आप ऐसे नियम बनाकर प्रवेश से वंचित नहीं कर सकते। इसके अलावा, भाषण की स्वतंत्रता मुझे नहीं बोलने की भी आजादी देती है। किसी को ‘भारत माता की जय’ बोलने या लिखने के लिए बाध्य करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।’’
गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति परिमल त्रिवेदी ने कहा, ‘‘भारतीय संविधान किसी को भारत माता की जय कहने के लिए बाध्य नहीं करता है। यह नारा अपने देश के प्रति हमारी कटिबद्धता दर्शाता है। लेकिन हमें इसे प्रवेश प्रक्रिया से नहीं जोड़ना चाहिए। यदि इसे चुनौती दी गयी तो यह अदालत में नहीं टिकेगा।’’