Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर भाजपा को इस बार विशेष सतर्कता बरतनी पड़ रही है। इसका मुख्य उद्देश्य मैदान में आम आदमी पार्टी (आप) का कूदना और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर बगावत होना बताया जा रहा है। आम तौर पर भाजपा का फार्मूला 30 फीसदी विधायकों का टिकट काट कर नए चेहरों को उम्मीदवार बनाने का रहा है। इसका मकसद सरकार विरोधी लहर (एंटी इन्कंबेंसी) का मुकाबला करना होता है। पर, गुजरात में बगावत की आशंका के मद्देनजर पार्टी को सोचना पड़ रहा है।
हिमाचल में कई विधायकों ने भरा निर्दलीय पर्चा: हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए भाजपा ने 11 मौजूदा विधायकों का टिकट काट लिया पर इसके परिणाम में पार्टी को खुली बगावत झेलनी पड़ी। कई विधायकों ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। पार्टी की कोई पहल इन्हें कदम पीछे खींचने के लिए राजी नहीं कर सकी। ये विधायक अगर जीतते नहीं भी हैं तो वोट काट कर भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में गुजरात को लेकर पार्टी ज्यादा सतर्क है, ताकि वहां ऐसी स्थिति नहीं बने। पार्टी के कई नेता अनौपचारिक बातचीत में यह बात स्वीकार भी करते हैं।
आप की सक्रियता बीजेपी के लिए परेशानी का सबब: गुजरात में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) की सक्रियता भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब है। पार्टी के बड़े नेता बैठकों में इसकी काट ढूंढ़ने के उपायों पर गंभीरता से चर्चा करते हैं। खबरों के मुताबिक पिछले दिनों अहमदाबाद में एक बैठक में जब एक नेता ने आप को वोटकटवा पार्टी की संज्ञा दी तो अमित शाह ने उन्हें नसीहत दी कि ऐसा समझने की भूल न करें और आप की काट ढूंढ़ने पर काम करें।
नए और युवा चेहरों को शामिल करने पर ज़ोर: गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी विद्रोहियों पर नजर रखते हुए उम्मीदवारों की सूची से मौजूदा विधायकों के नाम निकालने में सावधानी बरत रही है। भाजपा ने आम तौर पर सत्ता विरोधी लहर को कम करने और नए और युवा चेहरों को समायोजित करने के लिए मौजूदा विधायकों में से 30 प्रतिशत नामों को छोड़ने पर ज़ोर दिया है।
गुजरात का चुनाव आम तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ा जाता रहा है। लेकिन, इस बार आप की मौजूदगी से त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में विद्रोहियों के दूसरी पार्टियों में शामिल होने की संभावना है और भाजपा इससे बचना चाहती है।
राज्य में सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन: गुजरात में कई संगठन और समूह सरकार के अलग-अलग विभागों या मंत्रालयों के खिलाफ लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सरकार के प्रति लोगों के असंतोष को जताता है और बीजेपी को चुनाव में इसके विपरीत असर की आशंका सता रही है। कुछ दिन पहले सरकार ने इन विरोध प्रदर्शनों को शांत कराने के लिए कमेटी बनाने की भी घोषणा की थी।
2021 में बीजेपी ने गुजरात सरकार के मुखिया सहित कई मंत्रियों को बदल दिया था। तब भूपेंद्र पटेल को विजय रूपानी की जगह सीएम बनाया गया था। माना जा रहा है कि एंटी-इन्कंबेंसी से निपटने के लिए ही भाजपा ने यह कदम उठाया था, लेकिन सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा अब भी पूरी तरह शांत नहीं हुआ है।
ऐसी चर्चा है कि इस बार पार्टी मौजूदा उम्मीदवारों में से लगभग 30% को छोड़ देगी। पार्टी से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा, “चयन एक विस्तृत प्रक्रिया है, जिसमें कई फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है जैसे कि जाति समीकरण, कैडर फीडबैक और सबसे अधिक जीतने की क्षमता। इन पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय चुनाव समिति प्रतियोगियों पर फैसला करेगी।”