Gopalpur Assembly Election Result 2025: भागलपुर जिले की गोपालपुर विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में खास महत्व रखती है। गंगा के किनारे बसा यह इलाका कृषि और रेशम उत्पादन का केंद्र है, जिसे भागलपुरी सिल्क के लिए देशभर में पहचान मिली है। गोपालपुर प्रखंड के साथ-साथ नौगछिया, रंगराचौक और इस्माइलपुर ब्लॉक को मिलाकर बनी यह सीट मुख्यतः ग्रामीण है, जहां करीब 87 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है। उर्वर मिट्टी और गंगा की निकटता इसे आर्थिक रूप से सक्षम बनाती है, लेकिन रोजगार और विकास के मुद्दे अब भी प्रमुख हैं।
Bihar Assembly Election Results LIVE
राजनीतिक दृष्टि से गोपालपुर का इतिहास दिलचस्प रहा है। शुरुआती दौर में कांग्रेस और सीपीआई का वर्चस्व रहा, मगर 1990 के दशक में समीकरण तेजी से बदले। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने 2005 से लेकर अब तक लगातार चार बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। मौजूदा विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल ने 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शैलेश कुमार को 24,461 वोटों से हराया था। वे नीतीश कुमार के कट्टर समर्थक माने जाते हैं और लगातार पांचवीं बार चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
Bihar Election Commission Result 2025 LIVE
विधानसभा चुनाव 2020 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | नरेंद्र कुमार नीरज | जनता दल (यूनाइटेड) | 75533 |
| 2 | शैलेश कुमार | राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) | 51072 |
| 3 | सुरेश भगत | लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) | 23406 |
गोपाल मंडल जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही विवादित भी। कभी ट्रेन में अंडरवियर पहनकर यात्रा करने का वीडियो वायरल हुआ, तो कभी शादी में बार बालाओं के साथ नाचने को लेकर सुर्खियां बटोरीं। विरोधी उन्हें असंवेदनशील और असभ्य बताते हैं, वहीं समर्थक उन्हें “जमीन से जुड़ा नेता” मानते हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में गोपालपुर क्षेत्र से एनडीए को करीब 39,000 वोटों की बढ़त मिली, लेकिन जदयू विधायक की छवि को लेकर भाजपा में असहजता देखी जा रही है।
विधानसभा चुनाव 2015 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | नरेंद्र कुमार नीरज | जनता दल (यूनाइटेड) | 57403 |
| 2 | अनिल कुमार यादव | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | 52234 |
| 3 | सुरेश भगत | निर्दलीय | 6410 |
वर्तमान में इस सीट से वीआईपी के प्रेम शंकर यादव, JSP के मनकेश्वर सिंह और जदयू के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल मैदान में हैं। भाजपा का पुराना जनाधार, जदयू का संगठन और राजद की सक्रियता—तीनों ही 2025 के मुकाबले को रोमांचक बनाते हैं। सवाल यही है कि क्या गोपालपुर फिर से जदयू के नाम रहेगा या मतदाता इस बार बदलाव का फैसला देंगे?
