भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने मथुरा में गोकुल बैराज से वृंदावन तक यमुना नदी में लगभग 22 किलोमीटर लंबे जलमार्ग का विकास पूरा कर लिया है। यह जलमार्ग न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। रोमांचक पर्यटन के रूप में विकसित किए गए इस मार्ग पर करीब 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

पूरे मार्ग पर आठ घाटों पर यात्रियों के चढ़ने-उतरने के लिए जेट्टी बनाई गई हैं, जिनमें छह स्टील और दो एचडीपीई प्लास्टिक से निर्मित हैं। इस जलमार्ग पर चलने वाली नावें और छोटे क्रूज लगभग दो घंटे में 22 किलोमीटर का सफर पूरा करेंगे।

नोएडा स्थित प्राधिकरण मुख्यालय के अनुसार, यह कार्य राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-110 के अंतर्गत किया गया है। वर्ष 2022 में गोकुल से वृंदावन तक मार्ग को नौका परिवहन के अनुरूप विकसित करने की परियोजना शुरू हुई थी। इस दौरान विश्राम घाट, यमुना घाट, कंस किला घाट, परी गांव घाट, देवराहा बाबा घाट, केशी घाट, मठ रोड क्षेत्र घाट और जुगल किशोर घाट पर जेट्टी निर्माण का कार्य पूरा किया गया।

इसके साथ ही 30 मीटर लंबा नेविगेशन चैनल भी तैयार किया गया है ताकि नावों और क्रूज का सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके। पूर्व निदेशक मयंक कुमार के अनुसार, परियोजना का मुख्य उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को सशक्त बनाना है, जिससे श्रद्धालु यमुना में क्रूज या नाव यात्रा का अनुभव कर सकें।

उन्होंने बताया कि निजी आपरेटरों द्वारा नाव और क्रूज संचालित किए जाएंगे, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। फिलहाल यूपी सरकार ‘आन-शोर’ सुविधाएं-जैसे जेट्टी तक पहुंच मार्ग, प्रतीक्षालय और अन्य सहायक संरचनाएं-विकसित करने में जुटी है। उम्मीद है कि 2026 की शुरुआत में यह जलमार्ग पूरी तरह नौवहन के लिए खोल दिया जाएगा।

दिल्ली में तेजी से चल रहा काम

इसी के साथ, मयंक कुमार ने जानकारी दी कि दिल्ली में सोनिया विहार से जगतपुरी के बीच 8 किलोमीटर लंबे जलमार्ग पर क्रूज और स्पीड बोट चलाने की पुरानी योजना को भी वर्तमान सरकार तेजी से आगे बढ़ा रही है। दस वर्ष पुराने इस प्रस्ताव को 2016 में जमीन की अनुपलब्धता के कारण रोका गया था। अब इस मार्ग पर 50-60 यात्रियों की क्षमता वाले क्रूज और 20-25 यात्रियों वाली स्पीड बोटें संचालित करने की योजना है। यहां दो जेट्टी बनाने का कार्य भी शुरू किया जा रहा है।

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