UP Politics: साल 2027 में यूपी विधानसभा चुनाव होंगे, लेकिन उसके पहले चार प्रमुख सपा नेताओं का जमानत हासिल कर जेल से बाहर आना समाजवादी पार्टी के लिए एक राहत भरी खबर लेकर आया है। हालाँकि भाजपा की चुनावी टेंशन इनसे बढ़ सकती है। बीते हफ्ते न्यायालय से जमानत पाने वाले चारों सपा नेता एक साल से अधिक समय से जेल की सलाखों के पीछे थे। इनमें सबसे प्रमुख नाम रामपुर के पूर्वं सांसद आजम खान का है।
कोर्ट ने जिन चार सपा नेताओं को जमानत दी है, उनमें आजम खान के अलावा पूर्व विधायक इरफान सोलंकी, जुगेंद्र यादव और रामेश्वर यादव का नाम शामिल हैं। इन सभी का अपने क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभुत्व है और इन नेताओं पर कई केस दर्ज हैं।
आजम खान
उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव सरकार और अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे मोहम्मद आजम खान करीब 23 महीने हिरासत में बिताने के बाद 23 सितंबर, 2025 को सीतापुर जिला जेल से बाहर आए।
उत्तर प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि आजम खान पर कुल 111 मामले दर्ज हैं, जिनमें से रामपुर के बाहर केवल पांच मामले दर्ज हैं। लखनऊ और फिरोज़ाबाद में एक-एक और मुरादाबाद में तीन। बाकी ज़्यादातर मामले रामपुर के अज़ीम नगर और सिविल लाइंस थानों में दर्ज हैं।
रिकॉर्ड आगे बताते हैं कि इनमें से 81 से ज्यादा मामले 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद दर्ज किए गए थे। इनमें से लगभग 70 मामले अकेले 2019 में दर्ज किए गए थे, इसके बाद 2020 में छह और मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में जमीन हड़पने, धोखाधड़ी, बर्बरता, अतिचार, अभद्र भाषा और आपराधिक धमकी सहित कई तरह के आरोप शामिल हैं।
इरफान सोलंकी
कानपुर की सियासत में सपा नेता इरफान सोलंकी का अच्छा-खासा प्रभाव है। खासकर मुस्लिम इलाकों में। पूर्व विधायक विधायक इरफ़ान सोलंकी मंगलवार शाम छह बजे महराजगंज की जेल से बाहर आ गए। इरफान 34 महीने बाद जेल से बाहर आए। इरफान सोलंकी पांच बार के विधायक हैं। वो सपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं।
2 दिसंबर को गैंगस्टर एक्ट के तहत इरफ़ान सोलंकी और उनके भाई रिज़वान सोलंकी को अरेस्ट किया गया था। 22 दिसंबर 2022 को उन्हें कानपुर जेल से महराजगंज ज़िला कारागार में शिफ़्ट किया गया। इसके बाद से वो जेल में थे। इरफान सोलंकी पर कुल 10 केस दर्ज हैं। जेल जाने के बाद उन्हें विधायकी गवानी पड़ी थी। उपचुनाव में उनकी पत्नी नसीम सोलंकी ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और बीजेपी प्रत्याशी सुरेश अवस्थी को हराकर विरासत को बचाए रखा।
जुगेंद्र और रामेश्वर
सपा चीफ अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव और उनके बड़े भाई पूर्व विधायक रामेश्वर यादव तीन साल बाद जेल से बाहर आए हैं। कहा जाता है कि एटा और कासगंज में दोनों भाइयों की तूती बोलती है। योगी आदित्यनात के सत्ता में आने के बाद भी जुगेंद्र के पास जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बनी हुई थी।
हालांकि, बदलते घटनाक्रम के साथ 9 मार्च 2023 को गैंगस्टर मामले में पुलिस ने जुगेंद्र यादव को गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद उन्हें एटा जेल भेज दिया गया था।
जबकि,जुगेंद्र के भाई रामेश्वर यादव को 9 जून 2022 को पुलिस ने आगरा से गिरफ्तार किया गया था। जुगेंद्र पर लूट, दुष्कर्म, जमीन कब्जा और गैंगस्टर जैसे करीब सात संगीन मुकदमे दर्ज थे। वहीं, रामेश्वर यादव पर करीब 100 मुकदमे दर्ज हैं।
रामेश्वर सिंह यादव तीन बार अलीगंज विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। रामेश्वर पहली बार 1996 में चुनाव जीते थे, फिर 2002 और 2012 में विधायक चुने गए। जुगेंद्र सिंह यादव 2006 और 2011 में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। 2017 और 2022 में एटा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। जुगेंद्र की पत्नी रेखा यादव जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।
जुगेंद्र और रामेश्वर के तीन साल पर जेल से बाहर आने से एटा और कासगंज की सियासत में सपा के लिए एक नई उम्मीद किरण जगी है तो वहीं , बीजेपी के लिए एक नई चुनौती है। क्योंकि दोनों भाइयों का अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा दबदबा है।
समाजवादी पार्टी के इन चार नेताओं के जेल से बाहर आने के बाद एक बात तो तय है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को काफी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है या यूं कहें कि इन सपा नेताओं के जेल से बाहर आना बीजेपी के लिए किसी टेंशन से कम नहीं है। क्योंकि इन सभी नेताओं का अपने इलाके में अच्छा प्रभाव है।
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