दिल्ली विधानसभा का चार दिन का (22 से 26 अगस्त) सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, जिसमें दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच मची हक की लड़ाई पर गर्मागर्म बहस के आसार हैं। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र पर स्पष्टता की मांग कर सकते हैं और सरकार से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने की अपील कर सकते हैं। 4 अगस्त को आए हाई कोर्ट के फैसले ने उपराज्यपाल की सर्वोच्चता पर मुहर लगाई थी। हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला अब दिल्ली सरकार इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की कोशिश कर रही है। पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा था, लेकिन अलग से याचिका दायर करने पर उसने 29 अगस्त को सुनवाई की तारीख दी है। केजरीवाल सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। हाई कोर्ट ने चार अगस्त को फैसला सुनाया था कि उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हंै। हाई कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा के अधिकार क्षेत्र को लेकर पार्टी विधायकों के बीच संशय की स्थिति बनी हुई है। इस फैसले के बाद उपराज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार की मंजूरी लिए बिना विधानसभा में पास किए गए विधेयक बेकार हो गए हैं। इतना ही नहीं, आप सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में जो भी फैसले उपराज्यपाल की अनुमति के बिना लिए गए, उनकी फाइलें उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों से तलब की हैं। इससे पूरी दिल्ली सरकार में हड़कंप मचा हुआ है।
विधानसभा सत्र में आप के सदस्यों की ओर से उनकी पार्टी के विधायकों की गिरफ्तारी का मुद्दा भी उठाए जाने की उम्मीद है। एक पार्टी नेता ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद ज्यादातर विधायक सरकार के अधिकारों को लेकर संशय में हैं ओर वे इस मुद्दे पर स्पष्टता चाहते हैं। इसके मद्देनजर वे सदन में एक प्रस्ताव पेश कर दिल्ली सरकार से सुप्रीम कोर्ट जाने का अपील करेंगे। इस मुद्दे पर रजौरी गार्डन के आप विधायक जरनैल सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद विधायक दिल्ली विधानसभा और सरकार की शक्तियों पर और स्पष्टता की मांग करेंगे। हाई कोर्ट के हाल के आदेश को लेकर संशय का मुद्दा निश्चित तौर पर उठेगा। हम दिल्ली विधानसभा और सरकार की शक्तियों पर और स्पष्टता की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की सरकार को विधेयक सीधे विधानसभा में पेश करने का अधिकार है, लेकिन दिल्ली में स्थिति भिन्न है। यहां विधेयकों के लिए उपराज्यपाल की पूर्वानुमति जरूरी होती है।
इस चार दिवसीय सत्र के दौरान आप सरकार आंबेडकर विश्वविद्यालय विधेयक और लग्जरी टैक्स संशोधन विधेयक भी पेश करेगी। वहीं मुख्य विपक्षी भाजपा मुख्यमंत्री के आवास के पास धारा 144 लगाने समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि राजधानी में फैली अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार आप सरकार के असंवैधानिक कामों पर भाजपा सत्तारूढ़ दल से दो-दो हाथ करेगी। हालांकि विधानसभा में आप का प्रचंड बहुमत होने के कारण वहां वही कामकाज होगा जो सरकार चाहेगी। 70 सदस्यों वाली विधानसभा में आप के 67 और भाजपा के केवल तीन विधायक हैं। गुप्ता ने दावा किया कि वे दिल्ली की सरकार के बूते पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी आप की बढ़त को कम करने के लिए उसे हर मोर्चे पर असफल साबित करने का प्रयास करेंगे।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में उठेगा मांझे से हुई मौतों का मुद्दा
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर चीनी मांझे से हुई तीन लोगों की दर्दनाक मौत पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगेगी। गुप्ता का कहना है कि सरकार जनता को बताए कि क्या सरकार की मांझा माफियाओं से मिलीभगत के पीछे क्या मजबूरी थी? सरकार ने मृत मासूमों के परिजनों को कितना मुआवजा दिया? मौतों के लिए सरकार की तरफ से कौन जिम्मेदार है? उसे क्या सजा दी गई? गुप्ता ने दिल्ली सरकार द्वारा मनमाने ढंग से वकीलों की नियुक्ति करके उन पर जनता के करोड़ो रुपए खर्च करने की बावत भी सवाल पूछेंगे? इस साल नालों की गाद क्यों नहीं निकलवाई गई? गाद निकालने का कार्य सिर्फ कागजों पर करके लाखों रुपए की हेराफेरी करने वाले इंजीनियरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? अनस की मौत, शराब की राजधानी बनाने, अनाधिकृत कॉलोनियों, पानी के मीटर लगाने के नाम पर भारी रिश्वत वसूलने आदि मुद्दों पर सवाल उठाए जाएंगे।