एक नवंबर 1956 को जब मध्य प्रदेश बना तो शंकरदयाल शर्मा को राज्य का शिक्षामंत्री बनाया गया। राज्य में धर्मनिरपेक्षता लाने के लिए उन्होंने हिंदी के सिलेबस में परिवर्तन कराया था। उन दिनों मध्य प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों में ‘ग’ से ‘गणेश’ पढ़ाया जाता था। शिक्षामंत्री शंकर दयाल शर्मा ने ‘ग’ से ‘गधा’ पढ़वाना शुरू किया। मध्यप्रदेश बनने से पहले शंकर दयाल शर्मा भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे। उस समय भोपाल राज्य में किसी हिंदू देवी देवता के नाम पाठ्यक्रम में होना उचित नहीं माना जाता था। भोपाल राज्य में भी ‘ग’ से ‘गधा’ ही पढ़ाया जाता था।

1967 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र ने शंकर दयाल शर्मा को उद्योग मंत्री भी बनाया था। शर्मा उच्च शिक्षित थे और अंग्रेजी अच्छी बोलते थे, इसलिए हिंदीभाषी कई नेता उनसे खार भी खाते थे। एक बार शिक्षा मंत्री के रूप में विधानसभा में अंग्रेजी में उत्तर देने के कारण विधायकों ने आपत्ति कर दी कि उन्हें सदन में हिंदी ही बोलना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर उन्हें अपनी भाषा बदलनी पड़ी, पर शर्मा ने जो कहा वह कुछ इस प्रकार था, “हम अपने स्टूडेंट्स को जो स्पेशलाइज्ड एजुकेशन एम्पार्ट करना चाहते हैं, उनके सब्जेक्ट्स को फुल्ली अंडरस्टैंड किए बिना एक्सप्लेन कैसे किया जा सकता है।”

पत्रकार और लेखक दीपक तिवारी अपनी किताब राजनीतिनामा मध्यप्रदेश राजनेताओं के किस्से (1956 से 2003) में लिखते हैं कि उन दिनों शंकर दयाल शर्मा समकालीन नेताओं से ज्यादा पढ़े लिखे थे। मात्र 34 साल की उम्र में लखनऊ यूनिवर्सिटी से रीडर के पद से इस्तीफा देकर भोपाल के प्रधानमंत्री बने (इस समय मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था) उन्होंने हिंदी अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट और वकालत की पढ़ाई की थी। वह शानदार अंग्रेजी बोलते थे।

जब प्रधानमंत्री बनने से किया था इंकार: कहा जाता है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तो प्रधानमंत्री पद के लिए काफी उठा पटक हुई थी। तब शंकर दयाल शर्मा का नाम भी चला था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था कि उनकी उम्र बहुत हो गई है। वो खराब सेहत के साथ देश का नेतृत्व नहीं कर पाएंगे। इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव के नाम पर मुहर लगी थी। इसके एक साल बाद 25 जुलाई 1992 को शर्मा देश के नौवें राष्ट्रपति बने थे। भोपाल में पैदा हुए शंकर दयाल लॉ के स्टूडेंट और प्रोफेसर रहे थे। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया था। 1972 से 1974 तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे।

आतंकवादियों ने बेटी दामाद को मार दिया था: शंकर दयाल शर्मा की बेटी का नाम गीतांजलि था। उनके पति थे दिल्ली के तेज-तर्रार युवा कांग्रेस नेता ललित माकन। वह साउथ दिल्ली सीट से लोकसभा सांसद भी थे। इन दोनों को सिख आतंकवादियों ने मार दिया था। माकन को उनके वेस्ट दिल्ली के कीर्ति नगर वाले घर के बाहर 31 जुलाई 1985 गोलियों से छलनी कर दिया गया था।