केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम के स्टॉक से 45 लाख टन (लीटर) अनाज खुले बाजार में उतार दिया है। वहीं इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के किसान आधिकारिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (2,125 रुपये प्रति क्विंटल) से नीचे गेहूं बेच रहे हैं।

इंदौर स्थित एमपी स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन के सेवानिवृत्त संभागीय प्रबंधक महेश त्रिवेदी ने कहा, “मालवा, भोपाल और नर्मदापुरम क्षेत्रों (पश्चिमी मध्य प्रदेश के) की मंडियों में सामान्य-गुणवत्ता वाला गेहूं 1,800-2,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। सरकार ने एमएसपी पर गेहूं की खरीद भी शुरू नहीं की है।”

महेश त्रिवेदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ और सहकार भारती किसान और सहकारी संगठनों से जुड़े हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि एमएसपी खरीद कार्यों की शुरुआत में देरी चुनावी वर्ष में सत्तारूढ़ भाजपा को महंगी पड़ सकती है। बता दें कि मध्मेंय प्रदेश में नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। एमपी सरकार ने 25 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू करने की घोषणा की है। एमएसपी पर राज्य की एजेंसियों को गेहूं बेचने के लिए मध्य प्रदेश में किसानों को विपणन सीजन से पहले अपना पंजीकरण कराना आवश्यक है।

धार जिले और तहसील के लोहारी बुजुर्ग गांव में 25 हेक्टेयर में गेहूं की खेती करने वाले किसान बाने सिंह चौहान ने कहा, “यहां के कई किसानों ने इस बार यह सोचकर पंजीकरण नहीं कराया कि निजी व्यापारी और आटा मिल मालिक एमएसपी से अधिक भुगतान करेंगे। जनवरी के अंत तक इंदौर, उज्जैन, बड़नगर, धार और बदनावर जैसी मंडियों में कीमतें 2,800-3,000 रुपये प्रति क्विंटल थीं।”

फरवरी-मार्च के दौरान ई-नीलामी के माध्यम से मिलरों और थोक उपभोक्ताओं को बिक्री के लिए एफसीआई के स्टॉक से कुल 45 लाख टन (लीटर) गेहूं आवंटित किया गया था। एफसीआई द्वारा गेहूं की डंपिंग से कीमतों में गिरावट आई है। अब एमएसपी पर सरकार को अपनी फसल बेचने के लिए पंजीकरण नहीं कराने वाले किसान व्यापारियों के रहमोकरम पर होंगे। अगर बारिश हुई तो स्थिति और खराब हो जाएगी, जिससे अनाज को नुकसान होगा। इसके बाद कारोबारी कीमतों को और नीचे लाने के लिए ज्यादा नमी हवाला दिया जायेगा।

एमपी सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने शुरुआत में 28 फरवरी तक पंजीकरण की अनुमति दी थी, जिसे बाद में इसे 10 मार्च तक बढ़ा दिया गया था। विभाग के ऑनलाइन ‘ई-उपार्जन’ पोर्टल ने तब से नए पंजीकरण स्वीकार करना बंद कर दिया है।